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उलझन मन की

"चाँदनी पिघलती रही तो ख्वाब सँवरते रहे,
तेरी यादों के सफ़र में लम्हें निखरते रहे।
नींद भले रूठी रही कल रात भर,
पर तेरे एहसास दिल में उतरते रहे…"
✨
अल्फ़ाज़ों की रौशनी से दिल रोशन कर दिया तुमने,
यादों के सफ़र को और हसीन बना दिया तुमने।
नींद चाहे रूठ जाए रात के सन्नाटे में,
पर ख्वाबों को सच कर दिया तुमने.✨
 
पिघलती रही चांदनी
कतरा-कतरा अधजगी आंखों में
कल रात भर….

नींद नहीं आई
बदलती रही करवटें , ग़ुम किसी की याद में
कल रात भर….

श्याम बादलों की ओट में
छुप गई थी चांदनी
गुमसुम रहा चांद
कल रात भर….

पलकों से उतर कर
तकिए पर अधलेटे
बैचेन रहे किसी के ख़्वाब
कल रात भर….

ख़ामोशी के आलम में
सुनता रहा दिल ये
अपनी ही धड़कनें
कल रात भर….

Raat bhar jo khamoshi thi,
usmein bhi teri yaadon ki goonj thi.

Chand ki roshni jaise teri yaadon ke saaye mein ghul gayi,
aur palke, sapno ke sang, adhuri khwahishon ko sambhalti rahi.

Dil bhi jaanta hai, ye dhadkanen teri doori ko mehsoos kar rahi hain,

phir bhi… raat khatam nahi hoti, aur yaadein yunhi saath rehti hain ⭐

 
Raat bhar jo khamoshi thi,
usmein bhi teri yaadon ki goonj thi.

Chand ki roshni jaise teri yaadon ke saaye mein ghul gayi,
aur palke, sapno ke sang, adhuri khwahishon ko sambhalti rahi.

Dil bhi jaanta hai, ye dhadkanen teri doori ko mehsoos kar rahi hain,

phir bhi… raat khatam nahi hoti, aur yaadein yunhi saath rehti hain ⭐

Aahaaaa!!!
 
पिघलती रही चांदनी
कतरा-कतरा अधजगी आंखों में
कल रात भर….

नींद नहीं आई
बदलती रही करवटें , ग़ुम किसी की याद में
कल रात भर….

श्याम बादलों की ओट में
छुप गई थी चांदनी
गुमसुम रहा चांद
कल रात भर….

पलकों से उतर कर
तकिए पर अधलेटे
बैचेन रहे किसी के ख़्वाब
कल रात भर….

ख़ामोशी के आलम में
सुनता रहा दिल ये
अपनी ही धड़कनें
कल रात भर….
Waah baat toh shi h pYar m pD jaane k baad aisa he hota h
 
पिघलती रही चांदनी
कतरा-कतरा अधजगी आंखों में
कल रात भर….

नींद नहीं आई
बदलती रही करवटें , ग़ुम किसी की याद में
कल रात भर….

श्याम बादलों की ओट में
छुप गई थी चांदनी
गुमसुम रहा चांद
कल रात भर….

पलकों से उतर कर
तकिए पर अधलेटे
बैचेन रहे किसी के ख़्वाब
कल रात भर….

ख़ामोशी के आलम में
सुनता रहा दिल ये
अपनी ही धड़कनें
कल रात भर….
Wah bahut khoob
 
पिघलती रही चांदनी
कतरा-कतरा अधजगी आंखों में
कल रात भर….

नींद नहीं आई
बदलती रही करवटें , ग़ुम किसी की याद में
कल रात भर….

श्याम बादलों की ओट में
छुप गई थी चांदनी
गुमसुम रहा चांद
कल रात भर….

पलकों से उतर कर
तकिए पर अधलेटे
बैचेन रहे किसी के ख़्वाब
कल रात भर….

ख़ामोशी के आलम में
सुनता रहा दिल ये
अपनी ही धड़कनें
कल रात भर….
Dua h dost ki tera pyar amar rahe
 
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