कविताएँ लिखी जाती है,
एक गुमनाम, चिट्ठी की तरह !!
जो, किसी शहर, गाँव, या,
किसी एक पते पर नहीं भेजी जाती !!
ये ठहरती है, उस,
दिल की सतह पर,
जो इन्हें पढ़ता है,
महसूस करता है!!
और फिर ये उसे,
अपना, ठिकाना बना लेती हैं!!
एक गुमनाम, चिट्ठी की तरह !!
जो, किसी शहर, गाँव, या,
किसी एक पते पर नहीं भेजी जाती !!
ये ठहरती है, उस,
दिल की सतह पर,
जो इन्हें पढ़ता है,
महसूस करता है!!
और फिर ये उसे,
अपना, ठिकाना बना लेती हैं!!