तुम्हें जब भी देखा
चलते हुए देखा
किसी बहुत ज़रूरी चीज की
खोज में लगे हुए
तुम्हारा पीछा भी किया
मैंने कभी कभी
बिना तुम्हारे जाने
क्या अपनी क्षमता से अधिक बोझ उठाए
तुम उस बोझ के नीचे दबी नहीं कभी ?
क्या मिल जाता है तुम्हें
हमेशा
वो, जिसे ढूंढती हो तुम ?
प्यारी चींटी ,
क्या तुम मुझे बताओगी
कि ये तुम्हारा विश्वास है
कि चलते रहना ही जीवन है
या कि कोई मजबूरी तुम्हारी
जो तुम रुक नहीं पाती कभी !!!

चलते हुए देखा
किसी बहुत ज़रूरी चीज की
खोज में लगे हुए
तुम्हारा पीछा भी किया
मैंने कभी कभी
बिना तुम्हारे जाने
क्या अपनी क्षमता से अधिक बोझ उठाए
तुम उस बोझ के नीचे दबी नहीं कभी ?
क्या मिल जाता है तुम्हें
हमेशा
वो, जिसे ढूंढती हो तुम ?
प्यारी चींटी ,
क्या तुम मुझे बताओगी
कि ये तुम्हारा विश्वास है
कि चलते रहना ही जीवन है
या कि कोई मजबूरी तुम्हारी
जो तुम रुक नहीं पाती कभी !!!
