खुद को सही साबित करने की ,
इस जद्दोजहद में,
हम भूल जाते हैं ,
अपने उन रिश्तों को ,
जिनसे बहुत प्रेम करते हैं हम,
जिन्हे हम कभी खोना नही चाहते ...
मगर अपनी बात को अहम रखने के लिए,
हम उन रिश्तों को ताक पर रख देते हैं,
नही सोचते कि उन्हें कैसा लगेगा,
कितनी तकलीफ होगी,
हमे बस ये दिखाना होता है कि,
हमारी बात की ही अहमियत है,
हम किसी से छोटा नही बन सकते,
हमे तो ये दिखाना है ,
कि हम कभी गलत हो ही नही सकते,
भले ही इससे रिश्ते खत्म हो जाएं,
कोई फर्क नही पड़ता उस वक्त क्योंकि
रिश्तों की अहमियत तो बाद में पता चलती है...
खैर...

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इस जद्दोजहद में,
हम भूल जाते हैं ,
अपने उन रिश्तों को ,
जिनसे बहुत प्रेम करते हैं हम,
जिन्हे हम कभी खोना नही चाहते ...
मगर अपनी बात को अहम रखने के लिए,
हम उन रिश्तों को ताक पर रख देते हैं,
नही सोचते कि उन्हें कैसा लगेगा,
कितनी तकलीफ होगी,
हमे बस ये दिखाना होता है कि,
हमारी बात की ही अहमियत है,
हम किसी से छोटा नही बन सकते,
हमे तो ये दिखाना है ,
कि हम कभी गलत हो ही नही सकते,
भले ही इससे रिश्ते खत्म हो जाएं,
कोई फर्क नही पड़ता उस वक्त क्योंकि
रिश्तों की अहमियत तो बाद में पता चलती है...
खैर...
