मुझे तो आज भी रह रह कर तेरा हिज्र रुलाता है मेरी आंखों का एक एक आसूं मेरी तन्हाई बताता है तेरे बिना जो गुजारी हमने वो कहानी सुनाता है तू तो खुश है किसी ओर के साथ जिंदगी में अपनी मुझे तो आज भी रह रह कर तेरा हिज्र रुलाता है पतझड़ के पत्तों की तरह टूट चुकी हूं जिंदगी की शाख से मुझे अब कोई भी मौसम बहार का नही भाता है भुलाऊं भी तो मैं तुम्हे भुलाऊं कैसे जो परिंदा लेकर आता था पैगाम तेरा वो मेरी छत पर अब दाना चुगने आता है बड़ जाती है तब धड़कन दिल की, भागती हूं बाहर की तरफ जब कोई भी डाकिया मोहल्ले में आवाज लगाता है मैं खड़ी इंतजार ही करती रह जाती हूं वो सबका नाम पढ़ कर बुलाता है पर मुझे नहीं भुलाता है मेरी आंखों का एक एक आसूं मेरी तन्हाई बताता है तेरे बिना जो गुजरी हमने वो कहानी सुनाता है...




tera ye gam ab dekha na ja raha. Chal tujhe burger khilane le chalu







