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Ghir jana mera anth nahin

Deepak Kiran

Paw Patrol of ZoZo
Senior's
Chat Pro User
Posting Freak
परमे परवाज़ की शक्ति है , मन में आगाज़ की शक्ति है ,
वो चोच में तिनका डालें , डाली पर दो आँखे तकती है ,
वो परख रही है , तूफ़ा के बाज़ू में कितनी ताक़त है ,
वो देख रही है आसमान में नाम मात्र की राहत है ,
पर लगी साँस जब फूलने तो तूफ़ा ने मौका लपक लिया ,
आसमा की उमीदो को ला धरती पर पटक दिया ,
पर झाड़ रही है धूल परो से , रगो में गज़ब रवानी है ,
चोट खाने के बावजूद उड़ने की ललख पुरानी है ,
ग़लत करूंगा साबित सबको , यहां कोई अरिहंत नहीं ,
गिर जाना मेरा अंत नहीं ,गिर जाना मेरा अंत नहीं |


मुखड़े पर धूल लगी माना , माथा फूटा माना लेकिन ,
गालों पर थप्पड़ खाये है , जबड़ा टूटा माना लेकिन ,
माना के आंते अकड़ गई , पसलियों से लहू निकलता है ,
गिस गया है कंकर में घुटना , मिर्च सलिखे जलता है ,
माना के साँसे उखड़ रही, और धक्का लगता धड़कन से ,
लो मान लिया की काँप गया है , पूर्ण बदन अंतर्मन से ,
पर आँखों से अंगारे , नथनों से तूफ़ा लाऊंगा ,
में गिर गिर कर भी धरती पर , हर रोज़ खड़ा हो जाऊंगा ,
मुठ्ठी में बींच लिया तारा , तुम नगर में ढोल पिटादो जी ,
अँधेरे हो लाख़ घने पर अँधेरे अनन्त नहीं ,
गिर जाना मेरा अंत नहीं , गिर जाना मेरा अंत नहीं |
 
परमे परवाज़ की शक्ति है , मन में आगाज़ की शक्ति है ,
वो चोच में तिनका डालें , डाली पर दो आँखे तकती है ,
वो परख रही है , तूफ़ा के बाज़ू में कितनी ताक़त है ,
वो देख रही है आसमान में नाम मात्र की राहत है ,
पर लगी साँस जब फूलने तो तूफ़ा ने मौका लपक लिया ,
आसमा की उमीदो को ला धरती पर पटक दिया ,
पर झाड़ रही है धूल परो से , रगो में गज़ब रवानी है ,
चोट खाने के बावजूद उड़ने की ललख पुरानी है ,
ग़लत करूंगा साबित सबको , यहां कोई अरिहंत नहीं ,
गिर जाना मेरा अंत नहीं ,गिर जाना मेरा अंत नहीं |


मुखड़े पर धूल लगी माना , माथा फूटा माना लेकिन ,
गालों पर थप्पड़ खाये है , जबड़ा टूटा माना लेकिन ,
माना के आंते अकड़ गई , पसलियों से लहू निकलता है ,
गिस गया है कंकर में घुटना , मिर्च सलिखे जलता है ,
माना के साँसे उखड़ रही, और धक्का लगता धड़कन से ,
लो मान लिया की काँप गया है , पूर्ण बदन अंतर्मन से ,
पर आँखों से अंगारे , नथनों से तूफ़ा लाऊंगा ,
में गिर गिर कर भी धरती पर , हर रोज़ खड़ा हो जाऊंगा ,
मुठ्ठी में बींच लिया तारा , तुम नगर में ढोल पिटादो जी ,
अँधेरे हो लाख़ घने पर अँधेरे अनन्त नहीं ,
गिर जाना मेरा अंत नहीं , गिर जाना मेरा अंत नहीं |
Bahut khub ati Sundar padh ke acha Laga
 
Hausale aise banao Jo bar bar gir k BHI tute nai
Kismat ki lakir BHI tab Sath degi jab aap ruke nai ,
Sikhne ke liye school aur kitabe hi kafhi nai
Kabhi jindagi BHI bahut Kuch sikha jaati he
Sanghars Kya he chiti se leke panchiya BHI dikha jaati he ,:Like: bahut khub likha he kabita jisne BHI likha usko Salam
 
Last edited:
परमे परवाज़ की शक्ति है , मन में आगाज़ की शक्ति है ,
वो चोच में तिनका डालें , डाली पर दो आँखे तकती है ,
वो परख रही है , तूफ़ा के बाज़ू में कितनी ताक़त है ,
वो देख रही है आसमान में नाम मात्र की राहत है ,
पर लगी साँस जब फूलने तो तूफ़ा ने मौका लपक लिया ,
आसमा की उमीदो को ला धरती पर पटक दिया ,
पर झाड़ रही है धूल परो से , रगो में गज़ब रवानी है ,
चोट खाने के बावजूद उड़ने की ललख पुरानी है ,
ग़लत करूंगा साबित सबको , यहां कोई अरिहंत नहीं ,
गिर जाना मेरा अंत नहीं ,गिर जाना मेरा अंत नहीं |


मुखड़े पर धूल लगी माना , माथा फूटा माना लेकिन ,
गालों पर थप्पड़ खाये है , जबड़ा टूटा माना लेकिन ,
माना के आंते अकड़ गई , पसलियों से लहू निकलता है ,
गिस गया है कंकर में घुटना , मिर्च सलिखे जलता है ,
माना के साँसे उखड़ रही, और धक्का लगता धड़कन से ,
लो मान लिया की काँप गया है , पूर्ण बदन अंतर्मन से ,
पर आँखों से अंगारे , नथनों से तूफ़ा लाऊंगा ,
में गिर गिर कर भी धरती पर , हर रोज़ खड़ा हो जाऊंगा ,
मुठ्ठी में बींच लिया तारा , तुम नगर में ढोल पिटादो जी ,
अँधेरे हो लाख़ घने पर अँधेरे अनन्त नहीं ,
गिर जाना मेरा अंत नहीं , गिर जाना मेरा अंत नहीं |
IMG_20240424_135153.jpg
 
परमे परवाज़ की शक्ति है , मन में आगाज़ की शक्ति है ,
वो चोच में तिनका डालें , डाली पर दो आँखे तकती है ,
वो परख रही है , तूफ़ा के बाज़ू में कितनी ताक़त है ,
वो देख रही है आसमान में नाम मात्र की राहत है ,
पर लगी साँस जब फूलने तो तूफ़ा ने मौका लपक लिया ,
आसमा की उमीदो को ला धरती पर पटक दिया ,
पर झाड़ रही है धूल परो से , रगो में गज़ब रवानी है ,
चोट खाने के बावजूद उड़ने की ललख पुरानी है ,
ग़लत करूंगा साबित सबको , यहां कोई अरिहंत नहीं ,
गिर जाना मेरा अंत नहीं ,गिर जाना मेरा अंत नहीं |


मुखड़े पर धूल लगी माना , माथा फूटा माना लेकिन ,
गालों पर थप्पड़ खाये है , जबड़ा टूटा माना लेकिन ,
माना के आंते अकड़ गई , पसलियों से लहू निकलता है ,
गिस गया है कंकर में घुटना , मिर्च सलिखे जलता है ,
माना के साँसे उखड़ रही, और धक्का लगता धड़कन से ,
लो मान लिया की काँप गया है , पूर्ण बदन अंतर्मन से ,
पर आँखों से अंगारे , नथनों से तूफ़ा लाऊंगा ,
में गिर गिर कर भी धरती पर , हर रोज़ खड़ा हो जाऊंगा ,
मुठ्ठी में बींच लिया तारा , तुम नगर में ढोल पिटादो जी ,
अँधेरे हो लाख़ घने पर अँधेरे अनन्त नहीं ,
गिर जाना मेरा अंत नहीं , गिर जाना मेरा अंत नहीं |
Awesome. Keep it up.:cool:
 
परमे परवाज़ की शक्ति है , मन में आगाज़ की शक्ति है ,
वो चोच में तिनका डालें , डाली पर दो आँखे तकती है ,
वो परख रही है , तूफ़ा के बाज़ू में कितनी ताक़त है ,
वो देख रही है आसमान में नाम मात्र की राहत है ,
पर लगी साँस जब फूलने तो तूफ़ा ने मौका लपक लिया ,
आसमा की उमीदो को ला धरती पर पटक दिया ,
पर झाड़ रही है धूल परो से , रगो में गज़ब रवानी है ,
चोट खाने के बावजूद उड़ने की ललख पुरानी है ,
ग़लत करूंगा साबित सबको , यहां कोई अरिहंत नहीं ,
गिर जाना मेरा अंत नहीं ,गिर जाना मेरा अंत नहीं |


मुखड़े पर धूल लगी माना , माथा फूटा माना लेकिन ,
गालों पर थप्पड़ खाये है , जबड़ा टूटा माना लेकिन ,
माना के आंते अकड़ गई , पसलियों से लहू निकलता है ,
गिस गया है कंकर में घुटना , मिर्च सलिखे जलता है ,
माना के साँसे उखड़ रही, और धक्का लगता धड़कन से ,
लो मान लिया की काँप गया है , पूर्ण बदन अंतर्मन से ,
पर आँखों से अंगारे , नथनों से तूफ़ा लाऊंगा ,
में गिर गिर कर भी धरती पर , हर रोज़ खड़ा हो जाऊंगा ,
मुठ्ठी में बींच लिया तारा , तुम नगर में ढोल पिटादो जी ,
अँधेरे हो लाख़ घने पर अँधेरे अनन्त नहीं ,
गिर जाना मेरा अंत नहीं , गिर जाना मेरा अंत नहीं |
Ati sundar bro .. lajabab
 
परमे परवाज़ की शक्ति है , मन में आगाज़ की शक्ति है ,
वो चोच में तिनका डालें , डाली पर दो आँखे तकती है ,
वो परख रही है , तूफ़ा के बाज़ू में कितनी ताक़त है ,
वो देख रही है आसमान में नाम मात्र की राहत है ,
पर लगी साँस जब फूलने तो तूफ़ा ने मौका लपक लिया ,
आसमा की उमीदो को ला धरती पर पटक दिया ,
पर झाड़ रही है धूल परो से , रगो में गज़ब रवानी है ,
चोट खाने के बावजूद उड़ने की ललख पुरानी है ,
ग़लत करूंगा साबित सबको , यहां कोई अरिहंत नहीं ,
गिर जाना मेरा अंत नहीं ,गिर जाना मेरा अंत नहीं |


मुखड़े पर धूल लगी माना , माथा फूटा माना लेकिन ,
गालों पर थप्पड़ खाये है , जबड़ा टूटा माना लेकिन ,
माना के आंते अकड़ गई , पसलियों से लहू निकलता है ,
गिस गया है कंकर में घुटना , मिर्च सलिखे जलता है ,
माना के साँसे उखड़ रही, और धक्का लगता धड़कन से ,
लो मान लिया की काँप गया है , पूर्ण बदन अंतर्मन से ,
पर आँखों से अंगारे , नथनों से तूफ़ा लाऊंगा ,
में गिर गिर कर भी धरती पर , हर रोज़ खड़ा हो जाऊंगा ,
मुठ्ठी में बींच लिया तारा , तुम नगर में ढोल पिटादो जी ,
अँधेरे हो लाख़ घने पर अँधेरे अनन्त नहीं ,
गिर जाना मेरा अंत नहीं , गिर जाना मेरा अंत नहीं |
गिर जाना अंत कैसे हो सकता है
गर हौसलों का उड़ान अभी बाकी है
 
परमे परवाज़ की शक्ति है , मन में आगाज़ की शक्ति है ,
वो चोच में तिनका डालें , डाली पर दो आँखे तकती है ,
वो परख रही है , तूफ़ा के बाज़ू में कितनी ताक़त है ,
वो देख रही है आसमान में नाम मात्र की राहत है ,
पर लगी साँस जब फूलने तो तूफ़ा ने मौका लपक लिया ,
आसमा की उमीदो को ला धरती पर पटक दिया ,
पर झाड़ रही है धूल परो से , रगो में गज़ब रवानी है ,
चोट खाने के बावजूद उड़ने की ललख पुरानी है ,
ग़लत करूंगा साबित सबको , यहां कोई अरिहंत नहीं ,
गिर जाना मेरा अंत नहीं ,गिर जाना मेरा अंत नहीं |


मुखड़े पर धूल लगी माना , माथा फूटा माना लेकिन ,
गालों पर थप्पड़ खाये है , जबड़ा टूटा माना लेकिन ,
माना के आंते अकड़ गई , पसलियों से लहू निकलता है ,
गिस गया है कंकर में घुटना , मिर्च सलिखे जलता है ,
माना के साँसे उखड़ रही, और धक्का लगता धड़कन से ,
लो मान लिया की काँप गया है , पूर्ण बदन अंतर्मन से ,
पर आँखों से अंगारे , नथनों से तूफ़ा लाऊंगा ,
में गिर गिर कर भी धरती पर , हर रोज़ खड़ा हो जाऊंगा ,
मुठ्ठी में बींच लिया तारा , तुम नगर में ढोल पिटादो जी ,
अँधेरे हो लाख़ घने पर अँधेरे अनन्त नहीं ,
गिर जाना मेरा अंत नहीं , गिर जाना मेरा अंत नहीं |
Loved reading it much the same as If by Rudyard Kipling
 
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