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✨ ❤️❤️ एक प्यारी सी लड़की ❤️❤️ ✨

Rockzz

Epic Legend
एक प्यारी सी लड़की,
चली दुनिया को जीने
थोड़ी सी वो गुमसुम,
थोड़ी सी वो नादान।
फिर आंखों में लिए उम्मीद,
छूने चली वो आसमान।

कभी हाथो की लकीरें तांके,
कभी पुरानी यादों में झाकें।
फिर नई उमंगों के साथ,
जैसे कोई चिड़िया उड़ भागे।

एक प्यारी सी लड़की
चली दुनिया को जीने
रहती तो है वो सबके साथ,
पर खुद में क्यों अकेली है।
बस यही है दुनिया की रीत
सबको वो ये कहती है।

कभी ढूंढे खुद को दुखो में,
कभी खुशियों में खो जाती है।
फिर अपनी सी ही धुन में,
कुछ उलझी सी नज़र आती है।

FB_IMG_1712668215437.jpg
 
एक लड़की थी कुछ ऐसी
बागों में सुंदर फूलों के जैसी,
मासूम सा चेहरा था उसका
प्यारी सी मुस्कान थी उसकी,
सादगी की सुंदर मूरत थी
वो लड़की बहुत खूबसूरत थी,

आँखें झील और रंगत गुलाबी थी
पापा की प्यारी माँ की दुलारी थी,
किसी से न डरने वाली
हर मुश्किलों से लड़ने वाली
दोस्तों की जान माँ बाप की शान थी,

वक़्त ने करवट बदला
बाग के इस खूबसूरत फूल को
किसी की नज़र लग गयी,
देख न सकी वह विश्वास से
लिपटी प्यार के खंजर

शायद ईश्वर देने वाला था
उसे संघर्षों का मंजर,
मुस्कुराने वाली लड़की
प्यार में धोखा खायी लड़की
खामोश रहने लगी,
न कोई आस, न कोई पास
हर पल रहने लगी वह उदास,

बिंदास सी लड़की बदल सी गयी
चुटकी में उलझने सुलझाने वाली
दुसरो को मुस्कान देनी वाली
खुद मुस्कुराना भूल गयी,
शुरू में वह धोखे को धोखा
दर्द को दर्द मानने से इनकार करती ,
न शीशा देखती है, ना सपने
पर जल्द ही खुद को संभाला उसने,

पीछा छुड़ाया आंखों की नीर से
भरने को ठाना घाव ,
जो मिले थे धोखे की तीर से,
ठोकर खाई वह जल्द ही संभल गयी
रुख हवाओं का मोड़
वह सपनों की तरफ बढ़ गयी,

जीवन के महत्व को
वह जल्द ही समझ गयी ,
नए संकल्प के साथ
खुद की भूल सुधार वह आगे बढ़ गयी
भविष्य की सोच के साथ,
अतीत का अन्तिम संस्कार कर गयी।
एक लड़की जो कभी कमजोर थी

अब दुर्गा से काली बन गयी।
FB_IMG_1712645248683.jpg
 
कभी बचपना उसका तो
कभी समझदारी दिखती है,
कभी मासूमियत बेहिसाब तो
कभी गंभीरता झलकती है,
कभी मान लेती सारी बातें तो
कभी करती है मन की,
कुछ ऐसी है वो एक पागल सी लड़की।

कभी अकेले में मुस्कुराती है तो
कभी सब भूल खो जाती है,
कभी छोटी बात पर बेचैन हो जाती है तो
कभी ख़ुद से हक़ जताती है,
सबकी ज़रूरतों का ख़्याल रखती है
भूल के परवाह ख़ुद की,
कुछ ऐसी है वो एक पागल सी लडक़ी।

मिलकर जिससे अपनापन सा लगता है,
तो दूर जिससे एक पल भी अखरता है,
सबकी खुशी में खुश हो जाती है तो
सबके दुःख चेहरे से पढ़ जाती है,
है थोड़ी सी नादान पर बातें करती
जैसे नानी हो सबकी,
कुछ ऐसी है वो एक पागल सी लड़की।

कभी खुशमिज़ाज बन पूरे घर मे चहकती है तो
कभी शान्त सागर सी अपने मे महकती है,
कभी कुछ पाने की जिद करती तो
कभी सारी ख़्वाहिशें बस एक पर जिसकी सिमटती है,
सबकी चहेती सबकी लाडली है,
पर रखती है सम्मान अपने घर दुनिया की,

कुछ ऐसी है वो पागल सी लड़की।
images.jpeg
 
अनोखी सी एक लड़की से
हुई कुछ वक़्त पहले मुलाक़ात,
जिसकी खूबियों के बखान में
ढल सकती है रात,

यूँ जानता तो हूँ उसे, कुछ वक़्त
बिताया तो है उसके साथ,
पर फिर भी, कभी-कभी लगती है
अनजानी सी उसकी हर बात,

जितना उसे जानता जाता हूँ,
उतना ही अचरज होता है,
लगता है उसके पास
खूबियों का कोई सोता है,

पहली बार मिलके, कोई भी सोचेगा,
वाकई प्यारी मुस्कान है,
कुछ देर बात की तो,
मीठी आवाज़ भी हुज़ूर की शान है,

लेकिन अभिनय का और लेखन का
जब मैंने देखा कमाल,
तो लाजवाब हो गया हूँ,
मन में आ रहा है ये ख़याल,

ये लड़की अनोखी सी,
क्या कर रही है यहाँ,
संगणक में सर खपाती,
भला क्यूँ है परेशां?

पर शायद वो परेशां नहीं है,
ये भी एक खूबी है,
और उसकी सारी खूबियों में

सबसे ज़्यादा अनोखी है...
FB_IMG_1712749418523.jpg
 
एक सलाह

मैं उम्मीद करता हूँ
तुम आधे-आधे वाले इंसान नहीं बनोगे
जो करोगे पूरा करोगे, पूरी शिद्धत से

हँसना तो ऐसे कि बहारें आ जायें
रोना तो ऐसे कि बारिश हो कहीं

कुछ कहना तो ऐसे कि पत्थर पर लकीर हो
और चुप होना तो जैसे शांत दरिया

किसी से मोहब्बत करना तो बेइंतहा
और रुठना तो स्वाभिमान की हद तक

पूरा-पूरा जीना आसान नहीं है

मगर तुम बस आसान मत चुनना !!
 
एक प्यारी सी लड़की,
चली दुनिया को जीने
थोड़ी सी वो गुमसुम,
थोड़ी सी वो नादान।
फिर आंखों में लिए उम्मीद,
छूने चली वो आसमान।

कभी हाथो की लकीरें तांके,
कभी पुरानी यादों में झाकें।
फिर नई उमंगों के साथ,
जैसे कोई चिड़िया उड़ भागे।

एक प्यारी सी लड़की
चली दुनिया को जीने
रहती तो है वो सबके साथ,
पर खुद में क्यों अकेली है।
बस यही है दुनिया की रीत
सबको वो ये कहती है।

कभी ढूंढे खुद को दुखो में,
कभी खुशियों में खो जाती है।
फिर अपनी सी ही धुन में,
कुछ उलझी सी नज़र आती है।

View attachment 228131

मैं एक प्यारी सी लड़की हूँ
मैं एक चचंल सी लड़की हूँ
प्यारी हूँ चचंल हूँ.
फिर भी उदास रहती हूँ
समाज के इन तानाशाही से
मैं फिर भी डरती हूँ
मैं एक भोली सी लड़की हूँ
मैं एक छोटी सी लड़की हूँ
फिर भी समाज के इन
बंधनों में जकड़ी हुई रहती हूँ
फूलों के पंखूड़ीयो के जैसे
बिखरी हुई रहती हूँ
मैं एक प्यारी सी लड़की हूँ
मैं एक चचंल सी लड़की हूँ
 
अनोखी सी एक लड़की से
हुई कुछ वक़्त पहले मुलाक़ात,
जिसकी खूबियों के बखान में
ढल सकती है रात,

यूँ जानता तो हूँ उसे, कुछ वक़्त
बिताया तो है उसके साथ,
पर फिर भी, कभी-कभी लगती है
अनजानी सी उसकी हर बात,

जितना उसे जानता जाता हूँ,
उतना ही अचरज होता है,
लगता है उसके पास
खूबियों का कोई सोता है,

पहली बार मिलके, कोई भी सोचेगा,
वाकई प्यारी मुस्कान है,
कुछ देर बात की तो,
मीठी आवाज़ भी हुज़ूर की शान है,

लेकिन अभिनय का और लेखन का
जब मैंने देखा कमाल,
तो लाजवाब हो गया हूँ,
मन में आ रहा है ये ख़याल,

ये लड़की अनोखी सी,
क्या कर रही है यहाँ,
संगणक में सर खपाती,
भला क्यूँ है परेशां?

पर शायद वो परेशां नहीं है,
ये भी एक खूबी है,
और उसकी सारी खूबियों में

सबसे ज़्यादा अन










एक थी प्यारी सी लडकी
पता नहीं कहाँ खो गई?
उसका जगा स्वाभिमान
या था यह सिर्फ उसका अभिमान
जिसमें वह खो गई
कैसी कैसी बातें किया करती थी
जैसे कि वो सब समझती थी
फिर बिना कुछ हमारे कहे ही
क्यों कुछ हमें सुना गई
यह वह लडकी तो नहीं थी
क्या हमको ही कुछ फहमी हो गई
न जाने वह कहाँ खो गई
पता नहीं जीवन में
फिर मिल भी पाएगी
या सदा के लिए ही रुठ जाएगी
यूँ तो बह गया जो पानी
कभी लौट कर नहीं आता
बहाव आगे बढता ही रहता है
नया आता रहता है
पुराना बह ही जाता है
फिर भी इंसा न जाने क्यों
नये को समेटना चाहता है
पुराने को रोकना चाहता है
क्या समाने की इतनी क्षमता बढ गई?
या बुढाऊ की जिजीविषा बढ गई
जो थी वह प्यारी सी लडकी
न जाने अब कहाँ खो गई?
 
मैं एक प्यारी सी लड़की हूँ
मैं एक चचंल सी लड़की हूँ
प्यारी हूँ चचंल हूँ.
फिर भी उदास रहती हूँ
समाज के इन तानाशाही से
मैं फिर भी डरती हूँ
मैं एक भोली सी लड़की हूँ
मैं एक छोटी सी लड़की हूँ
फिर भी समाज के इन
बंधनों में जकड़ी हुई रहती हूँ
फूलों के पंखूड़ीयो के जैसे
बिखरी हुई रहती हूँ
मैं एक प्यारी सी लड़की हूँ
मैं एक चचंल सी लड़की हूँ
एक थी प्यारी सी लडकी
पता नहीं कहाँ खो गई?
उसका जगा स्वाभिमान
या था यह सिर्फ उसका अभिमान
जिसमें वह खो गई
कैसी कैसी बातें किया करती थी
जैसे कि वो सब समझती थी
फिर बिना कुछ हमारे कहे ही
क्यों कुछ हमें सुना गई
यह वह लडकी तो नहीं थी
क्या हमको ही कुछ फहमी हो गई
न जाने वह कहाँ खो गई
पता नहीं जीवन में
फिर मिल भी पाएगी
या सदा के लिए ही रुठ जाएगी
यूँ तो बह गया जो पानी
कभी लौट कर नहीं आता
बहाव आगे बढता ही रहता है
नया आता रहता है
पुराना बह ही जाता है
फिर भी इंसा न जाने क्यों
नये को समेटना चाहता है
पुराने को रोकना चाहता है
क्या समाने की इतनी क्षमता बढ गई?
या बुढाऊ की जिजीविषा बढ गई
जो थी वह प्यारी सी लडकी
न जाने अब कहाँ खो गई?
Bahut khub :clapping:
 
कभी बचपना उसका तो
कभी समझदारी दिखती है,
कभी मासूमियत बेहिसाब तो
कभी गंभीरता झलकती है,
कभी मान लेती सारी बातें तो
कभी करती है मन की,
कुछ ऐसी है वो एक पागल सी लड़की।

कभी अकेले में मुस्कुराती है तो
कभी सब भूल खो जाती है,
कभी छोटी बात पर बेचैन हो जाती है तो
कभी ख़ुद से हक़ जताती है,
सबकी ज़रूरतों का ख़्याल रखती है
भूल के परवाह ख़ुद की,
कुछ ऐसी है वो एक पागल सी लडक़ी।

मिलकर जिससे अपनापन सा लगता है,
तो दूर जिससे एक पल भी अखरता है,
सबकी खुशी में खुश हो जाती है तो
सबके दुःख चेहरे से पढ़ जाती है,
है थोड़ी सी नादान पर बातें करती
जैसे नानी हो सबकी,
कुछ ऐसी है वो एक पागल सी लड़की।

कभी खुशमिज़ाज बन पूरे घर मे चहकती है तो
कभी शान्त सागर सी अपने मे महकती है,
कभी कुछ पाने की जिद करती तो
कभी सारी ख़्वाहिशें बस एक पर जिसकी सिमटती है,
सबकी चहेती सबकी लाडली है,
पर रखती है सम्मान अपने घर दुनिया की,

कुछ ऐसी है वो पागल सी लड़की।
View attachment 228133
res.jpg
 
एक लड़की थी कुछ ऐसी
बागों में सुंदर फूलों के जैसी,
मासूम सा चेहरा था उसका
प्यारी सी मुस्कान थी उसकी,
सादगी की सुंदर मूरत थी
वो लड़की बहुत खूबसूरत थी,

आँखें झील और रंगत गुलाबी थी
पापा की प्यारी माँ की दुलारी थी,
किसी से न डरने वाली
हर मुश्किलों से लड़ने वाली
दोस्तों की जान माँ बाप की शान थी,

वक़्त ने करवट बदला
बाग के इस खूबसूरत फूल को
किसी की नज़र लग गयी,
देख न सकी वह विश्वास से
लिपटी प्यार के खंजर

शायद ईश्वर देने वाला था
उसे संघर्षों का मंजर,
मुस्कुराने वाली लड़की
प्यार में धोखा खायी लड़की
खामोश रहने लगी,
न कोई आस, न कोई पास
हर पल रहने लगी वह उदास,

बिंदास सी लड़की बदल सी गयी
चुटकी में उलझने सुलझाने वाली
दुसरो को मुस्कान देनी वाली
खुद मुस्कुराना भूल गयी,
शुरू में वह धोखे को धोखा
दर्द को दर्द मानने से इनकार करती ,
न शीशा देखती है, ना सपने
पर जल्द ही खुद को संभाला उसने,

पीछा छुड़ाया आंखों की नीर से
भरने को ठाना घाव ,
जो मिले थे धोखे की तीर से,
ठोकर खाई वह जल्द ही संभल गयी
रुख हवाओं का मोड़
वह सपनों की तरफ बढ़ गयी,

जीवन के महत्व को
वह जल्द ही समझ गयी ,
नए संकल्प के साथ
खुद की भूल सुधार वह आगे बढ़ गयी
भविष्य की सोच के साथ,
अतीत का अन्तिम संस्कार कर गयी।
एक लड़की जो कभी कमजोर थी

अब दुर्गा से काली बन गयी।
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इक चंचल शोख़ हसीं लड़की
मेरे दिल में रहती है।
जो लब़ से न बोल सकूँ मैं
वो नज़रों से कहती है।
आँखें उसकी शबनम जैसी
होठों पे तबस्सुम शर्माए
है चाल तो हिरनी के जैसी
जुल्फों पे घटाएँ बल खाएँ
उसकी साँसें मेरी साँसें
इक दूजे में बहती हैं।
इक चंचल शोख़ हसीं लड़की
मेरे दिल में रहती है।
 
एक प्यारी सी लड़की,
चली दुनिया को जीने
थोड़ी सी वो गुमसुम,
थोड़ी सी वो नादान।
फिर आंखों में लिए उम्मीद,
छूने चली वो आसमान।

कभी हाथो की लकीरें तांके,
कभी पुरानी यादों में झाकें।
फिर नई उमंगों के साथ,
जैसे कोई चिड़िया उड़ भागे।

एक प्यारी सी लड़की
चली दुनिया को जीने
रहती तो है वो सबके साथ,
पर खुद में क्यों अकेली है।
बस यही है दुनिया की रीत
सबको वो ये कहती है।

कभी ढूंढे खुद को दुखो में,
कभी खुशियों में खो जाती है।
फिर अपनी सी ही धुन में,
कुछ उलझी सी नज़र आती

Bahut khud , la jawab kabita
--------+------------+---------++

Hu me ladki pyari si
Nyaro se BHI nyarisi
Kisi ki aakho ka Noor thi
To kisi k liye majbur
Hu me ladki pyari si
Nyaro se BHI nyari si

The Chote chote se arman
Chota sa tha abhiman
Khud me khoti thi ,kabhi roti thi
Na rehta tha kisi pe dhyaan
Maasum si ladki thi
Thi jamane se Anjan
Usi me hone lagi thi yaari si
Hu me ladki pyari si
Nyaro se BHI nyari si

Muskurau to jag chehk jaye
Khusiyo se khusi mehk jaye
Tim tima ya sitara hu
Kabhi jita to kabhi hara hu
Bikhar k BHI khud ko samhal hu
Kabhi Kismat ko jiti to kabhi
Jamane se haari si
Hu me ladki pyari si
Nyaro se BHI nyari se :Laugh1::Laugh1:
 
एक लड़की थी कुछ ऐसी
बागों में सुंदर फूलों के जैसी,
मासूम सा चेहरा था उसका
प्यारी सी मुस्कान थी उसकी,
सादगी की सुंदर मूरत थी
वो लड़की बहुत खूबसूरत थी,

आँखें झील और रंगत गुलाबी थी
पापा की प्यारी माँ की दुलारी थी,
किसी से न डरने वाली
हर मुश्किलों से लड़ने वाली
दोस्तों की जान माँ बाप की शान थी,

वक़्त ने करवट बदला
बाग के इस खूबसूरत फूल को
किसी की नज़र लग गयी,
देख न सकी वह विश्वास से
लिपटी प्यार के खंजर

शायद ईश्वर देने वाला था
उसे संघर्षों का मंजर,
मुस्कुराने वाली लड़की
प्यार में धोखा खायी लड़की
खामोश रहने लगी,
न कोई आस, न कोई पास
हर पल रहने लगी वह उदास,

बिंदास सी लड़की बदल सी गयी
चुटकी में उलझने सुलझाने वाली
दुसरो को मुस्कान देनी वाली
खुद मुस्कुराना भूल गयी,
शुरू में वह धोखे को धोखा
दर्द को दर्द मानने से इनकार करती ,
न शीशा देखती है, ना सपने
पर जल्द ही खुद को संभाला उसने,

पीछा छुड़ाया आंखों की नीर से
भरने को ठाना घाव ,
जो मिले थे धोखे की तीर से,
ठोकर खाई वह जल्द ही संभल गयी
रुख हवाओं का मोड़
वह सपनों की तरफ बढ़ गयी,

जीवन के महत्व को
वह जल्द ही समझ गयी ,
नए संकल्प के साथ
खुद की भूल सुधार वह आगे बढ़ गयी
भविष्य की सोच के साथ,
अतीत का अन्तिम संस्कार कर गयी।
एक लड़की जो कभी कमजोर थी

अब दुर्गा से काली बन गयी।
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Rulaoge kya:spoileralert:
 
कभी बचपना उसका तो
कभी समझदारी दिखती है,
कभी मासूमियत बेहिसाब तो
कभी गंभीरता झलकती है,
कभी मान लेती सारी बातें तो
कभी करती है मन की,
कुछ ऐसी है वो एक पागल सी लड़की।

कभी अकेले में मुस्कुराती है तो
कभी सब भूल खो जाती है,
कभी छोटी बात पर बेचैन हो जाती है तो
कभी ख़ुद से हक़ जताती है,
सबकी ज़रूरतों का ख़्याल रखती है
भूल के परवाह ख़ुद की,
कुछ ऐसी है वो एक पागल सी लडक़ी।

मिलकर जिससे अपनापन सा लगता है,
तो दूर जिससे एक पल भी अखरता है,
सबकी खुशी में खुश हो जाती है तो
सबके दुःख चेहरे से पढ़ जाती है,
है थोड़ी सी नादान पर बातें करती
जैसे नानी हो सबकी,
कुछ ऐसी है वो एक पागल सी लड़की।

कभी खुशमिज़ाज बन पूरे घर मे चहकती है तो
कभी शान्त सागर सी अपने मे महकती है,
कभी कुछ पाने की जिद करती तो
कभी सारी ख़्वाहिशें बस एक पर जिसकी सिमटती है,
सबकी चहेती सबकी लाडली है,
पर रखती है सम्मान अपने घर दुनिया की,

कुछ ऐसी है वो पागल सी लड़की।
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Ladki he wo Jo halat k Sath dhalti he
Kabhi bikharti kabhi samhalti he
Bachpana ko dill me thamaye
Ummide ki rosne sab ko dikhaye
Wo khud andar he andar jalti he
Ladki he wo halato k Sath dhalti he :relieved:
 
Last edited:
Ladki he wo Jo halat k Sath dhalti he
Kabhi bikharti kabhi samhalti he
Bachpana ko dill me thamaye
Ummide ki rosne sab ko dikhaye
Wo khud andar he andar jalti he
Ladki he wo halato k Sath dhalti he :relieved:
Sach pucho humse
Sirf ladki hi nhi ladke bhi
Halat ke sath dhalte hai
Tutna kisi ko unka dikhta nhi
Lekin wo bhi kbhi bikhrte hain
Kismat bhi aisi ki koi sambhalta nhi
Halat se ladke khud ko bdlte hain
:Devil:
 
Wah! Kya life hai...

Sach pucho humse
Sirf ladki hi nhi ladke bhi
Halat ke sath dhalte hai
Tutna kisi ko unka dikhta nhi
Lekin wo bhi kbhi bikhrte hain
Kismat bhi aisi ki koi sambhalta nhi
Halat se ladke khud ko bdlte hain
:Devil:
:wait: jitne BHI badle jamane par ladki badalti nai
Dikha to aise leti he jaise samhal gai par samhalti nai
Kya haal bataye ye galib us ladki ka
Jiska din charya sajna sawarna rehta tha
Aajkal Aine me khadi najane Kya dekhti he
Par sawarti nai

Par me to to sajungi apne liye
:makeup:
 
:wait: jitne BHI badle jamane par ladki badalti nai
Dikha to aise leti he jaise samhal gai par samhalti nai
Kya haal bataye ye galib us ladki ka
Jiska din charya sajna sawarna rehta tha
Aajkal Aine me khadi najane Kya dekhti he
Par sawarti nai

Par me to to sajungi apne liye
:makeup:
Ye Hui na baat...
Jarur sajna sawrna lekin ye bhi jaruri dhyan rakhna ki.....
 
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