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सुनो ना....

Rockzz

Epic Legend
सुनो ना,
मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

तुम्हारी ऊंगली को अपनी ऊंगली में
फसाना चाहता हूं,
की तुम्हारे बालों की खुशबू को अपने हाथों में
लाना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

एक हसीन सी शाम हो और उस शाम को मैं
तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूं,
की हर बात पर तुम्हारी
खुद को खुल के हंसाना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

तुम्हारे होठों को अपने होठों से दबाकर
में अपनी आंखें झुकाना चाहता हूं,
तुम्हें देख जो लिखे शायर
वो शायर खुद को बनाना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

तुम्हें हंसता देख
मैं अपने सारे गम भुलाना चाहता हूं,
तुम कभी घर आओ मैं
तुम्हें एक कप चाय पिलाना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

मैं तुम्हारे साथ कल भी रहूंगा, खुद को तुम्हारा
गुजरा हुआ कल नहीं बनाना चाहता हूं,
तुम हर छोटी छोटी बात पर रूठ जाती हो
फिर भी मैं उम्रभर मनाना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

ज्यादा अच्छा तो नहीं लिखता मैं
पर जैसा भी लिखता हूं वो तुम्हे सुनाना चाहता हूं,
की तुम्हारे कंधे पर रख कर सर
मेरी ख्वाहिशें गिनाना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

तुम्हारे साथ छत पर बैठकर उस चांद को तुम्हें
दिखाना चाहता हूं,
तुम्हें करीब बिठा कर
मैं अपने सारे राज बताना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

रास्तों में यूं ही चलते चलते
मैं चुपके से तुम्हारा हाथ पकड़ना चाहता हूं,
मुझे जब अकेलापन लगे तो
तुम्हें अपनी बाहों में जकड़ना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

हां माना ये सब बातें तुम्हें झूठी लगेंगी
पर सब लड़के एक जैसे नहीं होते
मैं ये बात तुम्हें बताना चाहता हूं,
आज या कल खत्म हो जाए मैं वो रिश्ता नहीं
मैं अपनी आखिरी सांस तक
तुमसे रिश्ता निभाना चाहता हूं,

सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

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सुनो ना,
मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

तुम्हारी ऊंगली को अपनी ऊंगली में
फसाना चाहता हूं,
की तुम्हारे बालों की खुशबू को अपने हाथों में
लाना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

एक हसीन सी शाम हो और उस शाम को मैं
तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूं,
की हर बात पर तुम्हारी
खुद को खुल के हंसाना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

तुम्हारे होठों को अपने होठों से दबाकर
में अपनी आंखें झुकाना चाहता हूं,
तुम्हें देख जो लिखे शायर
वो शायर खुद को बनाना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

तुम्हें हंसता देख
मैं अपने सारे गम भुलाना चाहता हूं,
तुम कभी घर आओ मैं
तुम्हें एक कप चाय पिलाना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

मैं तुम्हारे साथ कल भी रहूंगा, खुद को तुम्हारा
गुजरा हुआ कल नहीं बनाना चाहता हूं,
तुम हर छोटी छोटी बात पर रूठ जाती हो
फिर भी मैं उम्रभर मनाना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

ज्यादा अच्छा तो नहीं लिखता मैं
पर जैसा भी लिखता हूं वो तुम्हे सुनाना चाहता हूं,
की तुम्हारे कंधे पर रख कर सर
मेरी ख्वाहिशें गिनाना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

तुम्हारे साथ छत पर बैठकर उस चांद को तुम्हें
दिखाना चाहता हूं,
तुम्हें करीब बिठा कर
मैं अपने सारे राज बताना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

रास्तों में यूं ही चलते चलते
मैं चुपके से तुम्हारा हाथ पकड़ना चाहता हूं,
मुझे जब अकेलापन लगे तो
तुम्हें अपनी बाहों में जकड़ना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

हां माना ये सब बातें तुम्हें झूठी लगेंगी
पर सब लड़के एक जैसे नहीं होते
मैं ये बात तुम्हें बताना चाहता हूं,
आज या कल खत्म हो जाए मैं वो रिश्ता नहीं
मैं अपनी आखिरी सांस तक
तुमसे रिश्ता निभाना चाहता हूं,

सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

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Suna ki nai suna udne ab me jaan a chati hu
Batao na ab me uska jawaf jaana chati hu
 
सुनो ना,
मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

तुम्हारी ऊंगली को अपनी ऊंगली में
फसाना चाहता हूं,
की तुम्हारे बालों की खुशबू को अपने हाथों में
लाना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

एक हसीन सी शाम हो और उस शाम को मैं
तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूं,
की हर बात पर तुम्हारी
खुद को खुल के हंसाना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

तुम्हारे होठों को अपने होठों से दबाकर
में अपनी आंखें झुकाना चाहता हूं,
तुम्हें देख जो लिखे शायर
वो शायर खुद को बनाना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

तुम्हें हंसता देख
मैं अपने सारे गम भुलाना चाहता हूं,
तुम कभी घर आओ मैं
तुम्हें एक कप चाय पिलाना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

मैं तुम्हारे साथ कल भी रहूंगा, खुद को तुम्हारा
गुजरा हुआ कल नहीं बनाना चाहता हूं,
तुम हर छोटी छोटी बात पर रूठ जाती हो
फिर भी मैं उम्रभर मनाना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

ज्यादा अच्छा तो नहीं लिखता मैं
पर जैसा भी लिखता हूं वो तुम्हे सुनाना चाहता हूं,
की तुम्हारे कंधे पर रख कर सर
मेरी ख्वाहिशें गिनाना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

तुम्हारे साथ छत पर बैठकर उस चांद को तुम्हें
दिखाना चाहता हूं,
तुम्हें करीब बिठा कर
मैं अपने सारे राज बताना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

रास्तों में यूं ही चलते चलते
मैं चुपके से तुम्हारा हाथ पकड़ना चाहता हूं,
मुझे जब अकेलापन लगे तो
तुम्हें अपनी बाहों में जकड़ना चाहता हूं,
सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

हां माना ये सब बातें तुम्हें झूठी लगेंगी
पर सब लड़के एक जैसे नहीं होते
मैं ये बात तुम्हें बताना चाहता हूं,
आज या कल खत्म हो जाए मैं वो रिश्ता नहीं
मैं अपनी आखिरी सांस तक
तुमसे रिश्ता निभाना चाहता हूं,

सुनो ना, मैं खुद को तुम्हारा बनाना चाहता हूं।

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Haan boliye na sun rahi hon ...
 
सुनो ना...

प्रेम एक ऐसी अनुभूति है,
जो होने से पहले ना कोई,

उम्र देखती है ना वक्त,
ना जगह देखती है ना रीति रिवाज.


मेरे कौन हो तुम ?
एहसास हो तुम उस प्रेम का,
जो उपजता है पहली बार,
नाजुक से ह्रदय में.......

स्पर्श हो तुम उस स्नेह का,
जो महसूस होता है,
किसी अपने के कंधे पर,
सिर रखने में.......

प्रतीक्षा हो तुम उस मिलन रात की,
जो....... सजाता है
अपने स्वप्नों में, अपने ह्रदय में.......

एकान्तता हो तुम,
उस सागर किनारे जैसी,
जहाँ बैठ मैं सोचता हूँ,
तुमको, सिर्फ तुमको.......

प्रेम हो तुम,
वह प्रेम जो उपजा था,
राधा के ह्रदय से,
कान्हा के ह्रदय तक पहुँचने को,
सबसे अनभिज्ञ, सबसे सत्य.......

मैं पूछता हूँ खुद से,
आखिर कौन हो तुम?

वह कल्पना,
जो मेरे ह्रदय ने की थी प्रेम की
उस कल्पना का यथार्थ हो तुम,

मेरा प्रेम हो तुम...
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अच्छा सुनो ना.....
जरूरी नहीं हर बार शब्द ही हो... कभी ऐसा भी हो कि मैं सोचूं... और तुम समझ लो...
 
सुनो!
चले आना, जब रहे दिल जरा भी उदास । सुनो! चले आना, जब हो रही हो तुम्हे घबराहट । सुनो! चले आना, जब हो रही ही आँसुओ की बरसात । सुनो! चले आना, जब घुटने लगो तुम अंदर ही अंदर । बिना देर किये बेवजह, बेझिझक, निसंकोच हो, बस चले आना । न देखना कि दिन है या रात न सोचना कि कैसे हैं हालात न झांकना तुम्हारे मेरे रिश्ते में पड़ी दरारों की खिड़की से, बस चले आना !!!
 
Suno na..,
Kyu door ho mujhse...,
Mere pas hi raho Na...,
Ye chandani rat Me..,
Mere Chand door mujhe raho na...,
Terna nahi aata Mujhe..,
Bich dariya me mujhe choro na..,
bikhri hu zamane ke diye gam se..,
pyar se apne mera ye dil jodo na..,
Patjad si he zindagi ye meri..,
tum bhi ye sukhe patte mere todo na..,
kaun he mera yaha apna..,
gair hoke mujhse tum muh modo na..,
Haqeeqt me nahi sahi...,
kam se kam mere sapne me to aaona..,
jal gaya he dil ye mera...,
tum badal bankar mujhe par chhao na...,
kehte the zism ki rooh hu teri..,
Fir se apni shayri me Mera nam dohraona.
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सुनो!
चले आना, जब रहे दिल जरा भी उदास । सुनो! चले आना, जब हो रही हो तुम्हे घबराहट । सुनो! चले आना, जब हो रही ही आँसुओ की बरसात । सुनो! चले आना, जब घुटने लगो तुम अंदर ही अंदर । बिना देर किये बेवजह, बेझिझक, निसंकोच हो, बस चले आना । न देखना कि दिन है या रात न सोचना कि कैसे हैं हालात न झांकना तुम्हारे मेरे रिश्ते में पड़ी दरारों की खिड़की से, बस चले आना !!!
जहाँ पे छोड़ा था तुमने , वहीं खड़े हैं हम !
कारवॉं जिन्दगी का बिन तुम्हारे कैसे चले ?
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Suno na..,
Kyu door ho mujhse...,
Mere pas hi raho Na...,
Ye chandani rat Me..,
Mere Chand door mujhe raho na...,
Terna nahi aata Mujhe..,
Bich dariya me mujhe choro na..,
bikhri hu zamane ke diye gam se..,
pyar se apne mera ye dil jodo na..,
Patjad si he zindagi ye meri..,
tum bhi ye sukhe patte mere todo na..,
kaun he mera yaha apna..,
gair hoke mujhse tum muh modo na..,
Haqeeqt me nahi sahi...,
kam se kam mere sapne me to aaona..,
jal gaya he dil ye mera...,
tum badal bankar mujhe par chhao na...,
kehte the zism ki rooh hu teri..,
Fir se apni shayri me Mera nam dohraona.
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:heart1:
 
सुनो अच्छा नहीं लगता
कि कोई दूसरा देखे
तुम्हारी शरबती आँखें
लब ओ रुखसार और पलकें
सियाह लंबी घनी जुल्फें
सराहे दूसरा कोई
मुझे अच्छा नहीं लगता

सुनो अच्छा नहीं लगता
करे जब तज़किरा कोई
करे जब तबसरा कोई
तुम्हारी जात को खोजे
तुम्हारी बात को सोचे
मुझे अच्छा नहीं लगता….

सुनो अच्छा नहीं लगता
तुम्हारी मुस्कराहट पर
हजारों लोग मरते हों
तुम्हारी एक आहट पर
हजारों दिल धड़कते हों
किसी का तुम पे यूँ मरना
मुझे अच्छा नहीं लगता….

सुनो अच्छा नहीं लगता
हवा गुजरे तुम्हें छू कर
ना होगा ज़ब्त ये मुझसे
करे कोई ये गुस्ताखी
तुम्हारी जुल्फ़ें बिखर जाएँ
तुम्हारा लम्स पा जाएँ
मुझे अच्छा नहीं लगता…

सुनो अच्छा नहीं लगता
कि तुमको फूल भी देखें
तुम्हारे पास से महकें
या चंदा की गुजारिश हो
कि अपनी रोशनी बख्शूँ
रुख ए जानां कोई देखे

मुझे अच्छा नहीं लगता !!
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