जाना तुझसे दूर अब रहा नहीं जाता।
अकेले अब ये दर्द सहा नहीं जाता,
तुम तो आँखों को पढ़ना जानती हो,
मुझे इस क़दर तुम अपना मानती हो,
मै इस ख़ामोशी के सिलसिले को तोडना चाहता हूं।
हां, मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं।
तेरी याद इस क़दर मुझे सताती है,
हर पल हर लम्हा कुछ यूं तड़पती है,
सांस लेना भी दुश्वार-सा लगता है,
जीना कुछ यूं नागवार-सा लगता है।
तुम चाहो तो रिश्ता आबाद हो सकता है,
साए में तुम्हारे सब कुछ मेहराब हो सकता है।
बहकती रस्मों को मै तोडना चाहता हूं।
हां, मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं।
अकेले अब ये दर्द सहा नहीं जाता,
तुम तो आँखों को पढ़ना जानती हो,
मुझे इस क़दर तुम अपना मानती हो,
मै इस ख़ामोशी के सिलसिले को तोडना चाहता हूं।
हां, मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं।
तेरी याद इस क़दर मुझे सताती है,
हर पल हर लम्हा कुछ यूं तड़पती है,
सांस लेना भी दुश्वार-सा लगता है,
जीना कुछ यूं नागवार-सा लगता है।
तुम चाहो तो रिश्ता आबाद हो सकता है,
साए में तुम्हारे सब कुछ मेहराब हो सकता है।
बहकती रस्मों को मै तोडना चाहता हूं।
हां, मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं।