तुझे हर आदत पसंद हो जाए मेरी, खुद को मैं इस कदर सुधारना चाहता हूँ
और माना लोग तकते रहते हैं तुझे, पर मैं तेरी नजर उतारना चाहता हूँ
जब तू घर आए थक हार कर, तुझे अपनी बाहों मैं सुलाना चाहता हूँ
और है जो अब तू हिस्से में मेरे, फिर बाकी सारी दुनिया मैं भूलना चाहता हूँ..
और माना लोग तकते रहते हैं तुझे, पर मैं तेरी नजर उतारना चाहता हूँ
जब तू घर आए थक हार कर, तुझे अपनी बाहों मैं सुलाना चाहता हूँ
और है जो अब तू हिस्से में मेरे, फिर बाकी सारी दुनिया मैं भूलना चाहता हूँ..
