धोखे से डरता हूँ साहब इसलिए,मरीज़-ए-मोहब्बत हूं, इक तेरा दीदार काफी है
हर एक दवा से बेहतर, निगाहे-ए-यार काफी है
सुनाता रहा दम निकलते निकलतेमरीज़-ए-मोहब्बत हूं, इक तेरा दीदार काफी है
हर एक दवा से बेहतर, निगाहे-ए-यार काफी है
प्यार में धोका मिला तो क्या हुआ,धोखे से डरता हूँ साहब इसलिए,
अकेला ही रहना पसंद करता हूँ!
Niceप्यार में धोका मिला तो क्या हुआ,
जिंदगी तो अब भी है,
गम के सिवा कुछ नहीं है यहां,
जिंदगी भर मुस्कुराने के लिए बहुत है.!!
बहुत खूब।मरीज़-ए-मोहब्बत हूं, इक तेरा दीदार काफी है
हर एक दवा से बेहतर, निगाहे-ए-यार काफी है
ये भी मोहब्बत- ए- मरीज़ है लगता
बहुत सहीधोखे से डरता हूँ साहब इसलिए,
अकेला ही रहना पसंद करता हूँ!
आये हाय क्या बात बोली अपने तो आज मेरा दिल ही नही मेरे फ़ेफ़डे तक जीत लिएवो खुद लौट आएगी तेरे पास,
थोड़ा दुनिया को तो आजमा लेने दे उसे!
जब कोई इंसान किसी से किनारा करता है तो सच मे वो इंसान सामने वाले कि लाख अच्छाइयाँ भूला कर सिर्फ एक बुराई पकड़ लेता है ।किसी को अपनाने के लिए हजार खूबियाँ भी कम है,
छोड़ने के लिए एक कमी ही काफी है!
ये किसने बोल दिया सिर्फ प्यार में धोका मिलता ?प्यार में धोका मिला तो क्या हुआ,
जिंदगी तो अब भी है,
गम के सिवा कुछ नहीं है यहां,
जिंदगी भर मुस्कुराने के लिए बहुत है.!!
धोखे से डरता हूँ साहब इसलिए,
अकेला ही रहना पसंद करता हूँ!
वो खुद लौट आएगी तेरे पास,
थोड़ा दुनिया को तो आजमा लेने दे उसे!
किसी को अपनाने के लिए हजार खूबियाँ भी कम है,
छोड़ने के लिए एक कमी ही काफी है!
सुनाता रहा दम निकलते निकलते
मगर ज़िक्र-ए-शाम-ए-अलम जब भी आया
चिराग़-ए-सहर बुझ गया जलते जलते
भई वाह !प्यार में धोका मिला तो क्या हुआ,
जिंदगी तो अब भी है,
गम के सिवा कुछ नहीं है यहां,
जिंदगी भर मुस्कुराने के लिए बहुत है.!!
धन्यवाद दोस्तबहुत खूब।
इस बात में हमारी भी सहमति है।
प्यार सिर्फ गर्लफ्रैंड का नाम नही आजकल तो दोस्त भी धोका दे देते हैभई वाह !
हम थोड़े से खुद से खफा क्या हुए
यहां तो सबको शायरी आ गई ।
सुनो सबलोग,
यूं अकेले अकेले क्यों रहना
डर तो प्यार और उसके धोखे से है,
आओ सब मिल के दोस्ती का एक आशियाना बनाएं,
जिसमे सिर्फ खुशियां ही खुशियां हो।
फिर चलेंगे हम सब मिल के उनका दीदार करने..
हम भी तो देखें किस अदा ने हमारे दोस्त को गुमसुम कर दिया।
कभी न होने दिया ताक़-ए-दिल को बे-रौनक़सुनाता रहा दम निकलते निकलते
मगर ज़िक्र-ए-शाम-ए-अलम जब भी आया
चिराग़-ए-सहर बुझ गया जलते जलते
बात कुछ सही भी है तो कुछ गलत भी।प्यार सिर्फ गर्लफ्रैंड का नाम नही आजकल तो दोस्त भी धोका दे देते है
अब इस युग मे सुदामा और कृष्ण मिलने से रहेबात कुछ सही भी है तो कुछ गलत भी।
कुछ दोस्त ऐसे भी होते हैं कि आपकी स्थिति चाहे जो भी हो साथ खड़े रहते हैं।
कुछ दोस्त तो इतने प्यारे होते हैं की आप खुश तो पार्टी, और अगर आप दुःखी तो निश्चित रूप से पार्टी।
बात रही गर्लफ्रेंड की तो तो इसमें 2 प्रकार हैं:
1. वह आपको एक बहुत अच्छा दोस्त मानती हो।
2. वह आपका उपयोग कर रही हो।
दोनो ही परिस्थिति में आपको बात करके स्वयं निर्णय लेना होगा।
और अगर दोस्ती मिले तो निःसंदेह अपना लेना।