भूल चुका हूँ या भुला रहा हूँ,
तेरी यादों को दफना रहा हूँ।
वो ख्वाब जो आँखों में थे कभी,
अब राख में उन्हें दबा रहा हूँ।
तेरी हँसी थी जैसे कोई गीत,
अब खामोशी में गूँजता है संगीत।
तेरी बातों में जो जादू था,
अब वो हवा में खो चुका है मीत।
मुद्दतों से चिट्ठियाँ रखी थीं,
अब राख कर उड़ा दी मैंने।
जो नाम लिखा था दिल पे कभी,
वो लकीर मिटा दी मैंने।
आसमाँ की वो अधूरी बारिश,
जो अधूरे अरमानों संग थी बही,
अब रुक गई है, थम गई है,
जैसे बिन लफ्ज़ की कोई कहानी रही।
भूल चुका हूँ या भुला रहा हूँ,
तेरी यादों को दफना रहा हूँ।
पर दिल के किसी कोने में शायद,
अब भी तेरा नाम सजा रहा हूँ।
तेरी यादों को दफना रहा हूँ।
वो ख्वाब जो आँखों में थे कभी,
अब राख में उन्हें दबा रहा हूँ।
तेरी हँसी थी जैसे कोई गीत,
अब खामोशी में गूँजता है संगीत।
तेरी बातों में जो जादू था,
अब वो हवा में खो चुका है मीत।
मुद्दतों से चिट्ठियाँ रखी थीं,
अब राख कर उड़ा दी मैंने।
जो नाम लिखा था दिल पे कभी,
वो लकीर मिटा दी मैंने।
आसमाँ की वो अधूरी बारिश,
जो अधूरे अरमानों संग थी बही,
अब रुक गई है, थम गई है,
जैसे बिन लफ्ज़ की कोई कहानी रही।
भूल चुका हूँ या भुला रहा हूँ,
तेरी यादों को दफना रहा हूँ।
पर दिल के किसी कोने में शायद,
अब भी तेरा नाम सजा रहा हूँ।