वो कहता बदन पर मेरे रख कर हाथ अपना
मैं हद से आगे बढ़ रहा हूं....
कभी उतरता है मेरे सीने के अंदर
कभी ऊपर मेरे चढ़ रहा है,
ये जो तुम हथेली से दबा रहे हो मुझको
लगता है जैसे तुम खा रहे हो मुझको,
मेरी चीख सुननी है तुम्हें..!!!
तो आओ आज तुम्हारा कान दिखाओ,
होठों से मेरे गले पर उतरो
आज बना कर निशान दिखाओ,
आज अंदर से मेरे निकलना मत
अंदर मेरे हमसाया बना दो,
मेरे पीछे का हिस्सा भूल तो नहीं रहे ना
आज पीठ पर मेरे निशान बना दो,
मैं जो कह रही थी, बस कर रहा था वो
हर जगह से मुझे पकड़ रहा था वो,
कुछ उसको पकड़ रही थी मैं
कुछ उसकी उलझी निगाहों को देखकर मर रही थी मैं,
बिना कुछ बोले ही उसके अंदर समा रही थी मैं...
बिना कुछ बोले ही उसके अंदर समा रही थी मैं..!!!

मैं हद से आगे बढ़ रहा हूं....
कभी उतरता है मेरे सीने के अंदर
कभी ऊपर मेरे चढ़ रहा है,
ये जो तुम हथेली से दबा रहे हो मुझको
लगता है जैसे तुम खा रहे हो मुझको,
मेरी चीख सुननी है तुम्हें..!!!
तो आओ आज तुम्हारा कान दिखाओ,
होठों से मेरे गले पर उतरो
आज बना कर निशान दिखाओ,
आज अंदर से मेरे निकलना मत
अंदर मेरे हमसाया बना दो,
मेरे पीछे का हिस्सा भूल तो नहीं रहे ना
आज पीठ पर मेरे निशान बना दो,
मैं जो कह रही थी, बस कर रहा था वो
हर जगह से मुझे पकड़ रहा था वो,
कुछ उसको पकड़ रही थी मैं
कुछ उसकी उलझी निगाहों को देखकर मर रही थी मैं,
बिना कुछ बोले ही उसके अंदर समा रही थी मैं...
बिना कुछ बोले ही उसके अंदर समा रही थी मैं..!!!



just joking yaar . mast likha hai . Awesome as always .
keep it up. No restriction on imagination. Galib ne khud likha hai ' shahid sharab pine de, masjid me baithkar , ya wo jagah bta de jha par khuda nhi. ' Hariwanshrai bachchan ne likha hai ' बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर मेल कराती मधुशाला! "
keeping showing Your intimate romantic side and desires Ji 
