रात की धड़कन जब तक जारी रहती है,
सोते नही हम,जिम्मेदारी रहती है
जबसे तूने हल्की हल्की बाते की
यार तबियत भारी भारी रहती है
वो मंज़िल पर अक्सर देर से पहुचे है
जिन लोगो के पास सवारी रहती
उसकी छतो से धूप के नेज़े आते है
जिस आंगन में छांव हमारी रहती
घर के बाहर ढूंढ रहा हूँ मैं दुनिया
घर के अन्दर दुनियादारी रहती है,,
सोते नही हम,जिम्मेदारी रहती है
जबसे तूने हल्की हल्की बाते की
यार तबियत भारी भारी रहती है
वो मंज़िल पर अक्सर देर से पहुचे है
जिन लोगो के पास सवारी रहती
उसकी छतो से धूप के नेज़े आते है
जिस आंगन में छांव हमारी रहती
घर के बाहर ढूंढ रहा हूँ मैं दुनिया
घर के अन्दर दुनियादारी रहती है,,