हक़ीक़त छुप नहीं सकती बनावट के उसूलों सेचाहत का एक यही उसूल है, जो हासिल हो जाए वो चाहत नहीं रह जाती।
सही बातचाहत का एक यही उसूल है, जो हासिल हो जाए वो चाहत नहीं रह जाती।
Ye bhi sahiचाहत का एक ये भी उसूल है, जितना छुपाओ, उतनी ही बेताबी से बाहर आती है!
Sab ko rulaoge kyaचाहत का ये उसूल है कि जितना करीब लाओगे, दर्द भी उतना गहरा पाओगे।
लोग तो रो रहे हैं, मैंने वही देखकर लिखा, जो पहले से रो रहे हैं, उन्हें रुलाने की क्या आवश्यकता है।Sab ko rulaoge kya![]()
Rula bhi rahe ho aur dara bhi rahe hoलोग तो रो रहे हैं, मैंने वही देखकर लिखा, जो पहले से रो रहे हैं, उन्हें रुलाने की क्या आवश्यकता है।
जो दूसरों को डराते या रुलाते हैं, वे स्वयं डरपोक होते हैं। हमें लोगों की तरह ड्रामेबाज़ बनने का कोई शौक नहीं है, वैसे भी कमजोर और डरपोक क्या कर सकते हैं, उनका तो जन्म ही रोने और डरने के लिए हुआ है और अंततः मरने के लिए। हम तो बस जैसे हैं वैसे ही व्यवहार करते हैं और हम तो बस 'जो देखते हैं वही लिखते हैं'।Rula bhi rahe ho aur dara bhi rahe ho![]()
Waah niceचाहत का एक यही उसूल है, जो हासिल हो जाए वो चाहत नहीं रह जाती।