सरे राह लाश के दो टुकड़े पड़े थे,
सर इधर पड़ा था धड़ उधर पड़ा था।
ताजा ख़ून जो उस लाश से बह रहा था,
जमीन का वो हिस्सा ख़ून से तर पड़ा था।
पूछा किसी ने,
कौन कमबख्त है ये
और किस से लड़ पड़ा था
कातिल पास खड़ा था बोला इश्क हूं मैं ये मुझसे लड़ पड़ा था।।
सर इधर पड़ा था धड़ उधर पड़ा था।
ताजा ख़ून जो उस लाश से बह रहा था,
जमीन का वो हिस्सा ख़ून से तर पड़ा था।
पूछा किसी ने,
कौन कमबख्त है ये
और किस से लड़ पड़ा था
कातिल पास खड़ा था बोला इश्क हूं मैं ये मुझसे लड़ पड़ा था।।