
यह केवल दृश्य नहीं, आत्मा का स्पंदन है,
जहाँ समय भी ठहर जाए, यह ऐसा बंदन है।
खेतों की यह हरियाली, कोई साधारण रंग नहीं,
यह तो जीवन के संघर्ष के बाद मिली अखंड शांति।
धूप सुनहरी, बादलों में कहीं खोई है,
जैसे मन की कोई अधूरी आस सोई है।
यह अकेला वृक्ष, एक साक्षी सा खड़ा,
देख रहा है दुनिया में क्या बड़ा, क्या कड़ा।
सामने उगी पत्तियाँ, जैसे उम्मीद लिए जागे,
कहती हैं, रात कितनी भी गहरी हो, सूरज तो आएगा आगे।
यह खामोशी एक संगीत है, जिसे कानों से नहीं दिल से सुना जाता है,
प्रकृति का यह एकांत, हर दर्द को भुला जाता है।
जीवन की भाग-दौड़ से दूर, यह एक ठहराव है,
जहाँ हर साँस में एक नया और गहरा भाव है।



