• We kindly request chatzozo forum members to follow forum rules to avoid getting a temporary suspension. Do not use non-English languages in the International Sex Chat Discussion section. This section is mainly created for everyone who uses English as their communication language.

खलनायक

Siddhantrt

Epic Legend
मेरी कहानी में तुम नायिका हो मेरी..
नायिका जानती हो न?
हाँ हिरोइन
और तुम्हारी कहानी में हम तुम्हारे खलनायक,
खलनायक (संजू बाबा टाइप)

जब दो कहानियाँ एक साथ एक मोड़ पर आके अटकती हैं
तो झंझट ये होता है कि कौन वाली कहानी को वरीयता दी जाए,
हालाँकि कहानी दोनों ही सच्ची है,
पर लोगों को पसंद कौन सी आएगी
मसला तो ये भी फँसता है,

तुमने खलनायक को अपना नायक मान लिया,
पूरी शिद्दत से,
पूरी चाहत से,
पूरे भरोसे से,
पर वो तो असल में खलनायक ही हैं न,
वो कोई काम ढंग से नहीं करता,
टाइम से खाना भी नहीं खाता,
बदसूरत सा है,
बड़ी बड़ी दाढ़ी भी करा रखी है,
एक ही जींस दस दस दिन लथेरता है,
मम्मी पापा की नज़र में भी नालायक है,
भाई बहन भी आवारा मानते हैं,
दोस्त सिर्फ़ दारू-बीड़ी के लिए याद करते हैं,
साला एक तुम ही को नायक दिखता है उसमें,
मुझे तो आज तक नहीं समझ नहीं आया....

तुम्हारे हिसाब से वो बहुत ताक़तवर है,
इंटेलिजेंट है,
इंटेलेक्चुवल है,
लापरवाह तो है पर परवाह भी करता है तुम्हारी,
किसी भी चीज़ का होश नहीं पर तुमको खोने से डरता है,
तुम्हारी बड़ी बड़ी आँखे जिसे कईयों ने अपने-अपने अन्दाज़ में तारीफ़ों को इक्स्प्लेन किया था,
सिंपल सी भाषा में उसमें छुपा दर्द बता देता है,
जो msg टाइप करके तुम मिटा देती हो उसे भी पढ़ लेता है,
तुमसे सब कुछ शेयर कर लेता है वो,
ऐसे तो हमेशा खड़ूस जैसी शक्ल बनाए रहता है
पर आँसू भी तुम्हारे सामने ही आते हैं उसे,
न जाने क्यूँ पिघल सा जाता है वो तुम्हारे आगे,
किसी स्लैमबुक की हौबी वाले कालम में न जाने क्यूँ तुम्हारा नाम भरता है...

इश्क़ नहीं है उसे तुमसे,
इश्क़ होता तो कबका भाग गया होता वो,
इश्क़ तो सबसे हो जाता है उसे,
कोई भी प्यार से बोल भर दे बस,
किसी चेहरे में किसी दूसरे का चेहरा नहीं ढूँढता वो,
शायद अब वो किसी भी चेहरे पे नज़र रोक ही नहीं पाता है,
किसी आँखों में झाँक नहीं पाता है,
खलनायको को इश्क़ की भाषा समझ ही कहाँ आती है?

तुमसे इश्क़ नहीं हुआ उसे,
साली लगन लग गयी,
ये लगन का चोंचला भी ग़ज़ब है,
आप फ़रमाते तो इश्क़ हैं पर रिश्ते को नाम नही देते,
उनसे हमेशा लड़ते तो हैं पर उनको बदनाम नहीं करते,
एक दूसरे की बाहों में सुकून ढूँढते हैं पर इसे प्रेम नहीं पुकारते,
मिलने को तड़पते तो हैं पर मोहब्बत की बात नहीं करते,
इश्क़ में तो फिर भी इंसान अंधा हो जाता है पर लगन में,
लगन में तो चाह के भी अंधा नहीं हो सकता,
मोहब्बत में तो फिर भी बहरा हो जाता है,
पर लगन में तो जो तुम नहीं कह पाती वो भी सुनना पड़ता है,
प्रेम में तो फिर भी गूँगा हो जाता,
पर लगन में तो सब कुछ सच बोल देना होता है...

तुम! तुम उसकी नायिका रही हो हमेशा से,
नायक के कहीं ज़्यादा नायिका की चाहत खलनायक को होती है,
न जाने कितनी कहानी में इसी चक्कर में उसका खेल भी ख़त्म हो जाता है,
तुम्हें पा भी गया तो समझ नहीं पायेगा के अब तुम्हारा करे क्या?
दर्द इतना पहले ही झेल चुकी तुम
कि अब नया दर्द तुम्हारे पुराने दर्द को भूलाने के काम आता है,
तुम्हारा साथ तो चाहता वो पर तुम्हारे साथ नहीं रह सकता,

कहानी का अंत क्या होगा ये सबको पता है,
एक दिन कोई हीरो आएगा
और खलनायक की नज़र के सामने से सबको मारते पीटते हुए
तुमको उठा ले जाएगा,
और दोनो कहानियों में वरीयता भी इसी कहानी को दी जाएगी,
हिट भी साली यही होगी,
सीटी और तालियों की बौछार भी इसी पर होगी,
पर क्या तुम्हें मालूम है
कि उस खलनायक की कहानी तो उसी समय उसकी नज़र में हिट हो गयी थी
जब तुमने उसका हाथ थामा था,
जब उस खलनायक में भी तुमने एक नायक देखा था,
जब तुमने कहा था के तुम्हारी आँखों में वो ताउम्र टिमटिमाता रहेगा,
और तब भी जब तुम कहते कहते रुक गयी थी कि "मुझे उस हीरो के साथ नहीं जाना है!"

खलनायक होना बुरा नहीं है,
बुरा है नायक होने ढोंग करना,
दिल में बात छुपा कर रखना,
हीरो बनने के चक्कर में हिरोइन के किरदार को दबा देना
और ताउम्र खलनायक की नायिका को खलनायक के नाम का तंज कसना,
हर आदमी में एक खलनायक है
पर हर खलनायक के पास तुम्हारे जैसे नायिका नहीं,
बाक़ी हीरो का क्या है?
वो तो हिरोइन को खलनायक से दूर ले जाने के लिए आते हैं..!FB_IMG_1592880723064.jpg
 
Last edited:
मेरी कहानी में तुम नायिका हो मेरी..
नायिका जानती हो न?
हाँ हिरोइन
और तुम्हारी कहानी में हम तुम्हारे खलनायक,
खलनायक (संजू बाबा टाइप)

जब दो कहानियाँ एक साथ एक मोड़ पर आके अटकती हैं
तो झंझट ये होता है कि कौन वाली कहानी को वरीयता दी जाए,
हालाँकि कहानी दोनों ही सच्ची है,
पर लोगों को पसंद कौन सी आएगी
मसला तो ये भी फँसता है,

तुमने खलनायक को अपना नायक मान लिया,
पूरी शिद्दत से,
पूरी चाहत से,
पूरे भरोसे से,
पर वो तो असल में खलनायक ही हैं न,
वो कोई काम ढंग से नहीं करता,
टाइम से खाना भी नहीं खाता,
बदसूरत सा है,
बड़ी बड़ी दाढ़ी भी करा रखी है,
एक ही जींस दस दस दिन लथेरता है,
मम्मी पापा की नज़र में भी नालायक है,
भाई बहन भी आवारा मानते हैं,
दोस्त सिर्फ़ दारू-बीड़ी के लिए याद करते हैं,
साला एक तुम ही को नायक दिखता है उसमें,
मुझे तो आज तक नहीं समझ नहीं आया....

तुम्हारे हिसाब से वो बहुत ताक़तवर है,
इंटेलिजेंट है,
इंटेलेक्चुवल है,
लापरवाह तो है पर परवाह भी करता है तुम्हारी,
किसी भी चीज़ का होश नहीं पर तुमको खोने से डरता है,
तुम्हारी बड़ी बड़ी आँखे जिसे कईयों ने अपने-अपने अन्दाज़ में तारीफ़ों को इक्स्प्लेन किया था,
सिंपल सी भाषा में उसमें छुपा दर्द बता देता है,
जो msg टाइप करके तुम मिटा देती हो उसे भी पढ़ लेता है,
तुमसे सब कुछ शेयर कर लेता है वो,
ऐसे तो हमेशा खड़ूस जैसी शक्ल बनाए रहता है
पर आँसू भी तुम्हारे सामने ही आते हैं उसे,
न जाने क्यूँ पिघल सा जाता है वो तुम्हारे आगे,
किसी स्लैमबुक की हौबी वाले कालम में न जाने क्यूँ तुम्हारा नाम भरता है...

इश्क़ नहीं है उसे तुमसे,
इश्क़ होता तो कबका भाग गया होता वो,
इश्क़ तो सबसे हो जाता है उसे,
कोई भी प्यार से बोल भर दे बस,
किसी चेहरे में किसी दूसरे का चेहरा नहीं ढूँढता वो,
शायद अब वो किसी भी चेहरे पे नज़र रोक ही नहीं पाता है,
किसी आँखों में झाँक नहीं पाता है,
खलनायको को इश्क़ की भाषा समझ ही कहाँ आती है?

तुमसे इश्क़ नहीं हुआ उसे,
साली लगन लग गयी,
ये लगन का चोंचला भी ग़ज़ब है,
आप फ़रमाते तो इश्क़ हैं पर रिश्ते को नाम नही देते,
उनसे हमेशा लड़ते तो हैं पर उनको बदनाम नहीं करते,
एक दूसरे की बाहों में सुकून ढूँढते हैं पर इसे प्रेम नहीं पुकारते,
मिलने को तड़पते तो हैं पर मोहब्बत की बात नहीं करते,
इश्क़ में तो फिर भी इंसान अंधा हो जाता है पर लगन में,
लगन में तो चाह के भी अंधा नहीं हो सकता,
मोहब्बत में तो फिर भी बहरा हो जाता है,
पर लगन में तो जो तुम नहीं कह पाती वो भी सुनना पड़ता है,
प्रेम में तो फिर भी गूँगा हो जाता,
पर लगन में तो सब कुछ सच बोल देना होता है...

तुम! तुम उसकी नायिका रही हो हमेशा से,
नायक के कहीं ज़्यादा नायिका की चाहत खलनायक को होती है,
न जाने कितनी कहानी में इसी चक्कर में उसका खेल भी ख़त्म हो जाता है,
तुम्हें पा भी गया तो समझ नहीं पायेगा के अब तुम्हारा करे क्या?
दर्द इतना पहले ही झेल चुकी तुम
कि अब नया दर्द तुम्हारे पुराने दर्द को भूलाने के काम आता है,
तुम्हारा साथ तो चाहता वो पर तुम्हारे साथ नहीं रह सकता,

कहानी का अंत क्या होगा ये सबको पता है,
एक दिन कोई हीरो आएगा
और खलनायक की नज़र के सामने से सबको मारते पीटते हुए
तुमको उठा ले जाएगा,
और दोनो कहानियों में वरीयता भी इसी कहानी को दी जाएगी,
हिट भी साली यही होगी,
सीटी और तालियों की बौछार भी इसी पर होगी,
पर क्या तुम्हें मालूम है
कि उस खलनायक की कहानी तो उसी समय उसकी नज़र में हिट हो गयी थी
जब तुमने उसका हाथ थामा था,
जब उस खलनायक में भी तुमने एक नायक देखा था,
जब तुमने कहा था के तुम्हारी आँखों में वो ताउम्र टिमटिमाता रहेगा,
और तब भी जब तुम कहते कहते रुक गयी थी कि "मुझे उस हीरो के साथ नहीं जाना है!"

खलनायक होना बुरा नहीं है,
बुरा है नायक होने ढोंग करना,
दिल में बात छुपा कर रखना,
हीरो बनने के चक्कर में हिरोइन के किरदार को दबा देना
और ताउम्र खलनायक की नायिका को खलनायक के नाम का तंज कसना,
हर आदमी में एक खलनायक है
पर हर खलनायक के पास तुम्हारे जैसे नायिका नहीं,
बाक़ी हीरो का क्या है?
वो तो हिरोइन को खलनायक से दूर ले जाने के लिए आते हैं..!View attachment 5656
Heart touching
I got tears in my eyes!!!
 
Top