Rockzz
Epic Legend
इस संसार के प्रत्येक प्रेमी की तरह मेरी भी हजारों ख्वाहिशें थी उनमें से एक ये थी कि कभी तुम अपनी कोई बेशकीमती रात मुझे तोहफ़े में दो।
और उस रात तुम नींद को अवकाश देकर जागती मेरे साथ, मैं उन ख़ास लम्हों को कलम के सहारे अपनी सुनहरे मुखपृष्ठ वाली डायरी के वरक़ शब्द - मोतियों के रूप में टांक देता
मैं लिखता उन तमाम बातों को बड़े चाव से, तुम्हें सामने बिठाकर या यूं कहो कि अपने नज़दीक बिठाकर जो उस रात हमारे दरमियान होती।
मैं लिखता तुम्हारी आंखों के भंवर की गहराइयां, तुम्हारे लरज़ते होंठों पर जो बातें ना जाने कब से ठहरी हुई थी?
मैं लिखता तुम्हारे बदन की बनावट को कि किस प्रकार ख़ुदा ने बड़ी ही बारीकी से नक्काशी करके ये जो सूरत गढ़ी है मानो जैसे अजंता की कोई बोलती मूरत हो।
मैं लिखता तुम्हारे गेशुओं से आती भीनी भीनी खुशबू को और लिखता तिलों से बनी आकाश गंगा को जिसमें मेरे अरमान सितारों के मानिंद समाहित होने को आतुर रहते।
मैं लिखता एक ऐसी दिलकश ग़ज़ल जो तुम्हारी खूबसूरती की हर एक अदा को बयां करती
और हां लिखने से पहले मैं पढ़ता तुम्हें अपनी उंगलियों के पोरों से कई दफा, बार बार हज़ार बार, तब तक जब तक मुझे तुम्हारे हुस्न की लिखावट समझ नहीं आ जाती..... लेकिन अगर समझ लेता तो फिर तुमसे मिलन की जो चाह अभी तक मेरे दिल के कोने में हिचकियां ले रही है वो शायद शांत हो जाती.. शून्य हो जाती।
और मैने ये कभी नहीं चाहा कि मेरी आरज़ू किसी अनाथ की भांति यूं मुझसे ही अलविदा कह दें।
और जब मैं जाने के लिए तुमसे इजाज़त लेता तो तुम्हारे कोमल पैरों में पहनी पाज़ेब की वो खनक मुझे #हम_दोनों फिल्म के उस गीत के बोल सुनाकर रोक लेती...#अभी_ना_जाओ_छोड़कर_कि_दिल_अभी_भरा_नहीं...
क्षण भर रुकने के बाद वापस से दौड़कर मैं लिपट जाता तुमसे, भर लेता अपने आगोश में और हो जाता विलीन तुम्हारी रूह में हमेशा के लिए, हमेशा.. हमेशा के लिए
कुछ इस तरह से हमारा प्रेम इस जहां में अमरत्व को पा लेता और लोग इस प्रेम की कहानियां गांव के पीपल वृक्ष के नीचे चौपाल पर बैठकर सुना करते।
काश........
और उस रात तुम नींद को अवकाश देकर जागती मेरे साथ, मैं उन ख़ास लम्हों को कलम के सहारे अपनी सुनहरे मुखपृष्ठ वाली डायरी के वरक़ शब्द - मोतियों के रूप में टांक देता
मैं लिखता उन तमाम बातों को बड़े चाव से, तुम्हें सामने बिठाकर या यूं कहो कि अपने नज़दीक बिठाकर जो उस रात हमारे दरमियान होती।
मैं लिखता तुम्हारी आंखों के भंवर की गहराइयां, तुम्हारे लरज़ते होंठों पर जो बातें ना जाने कब से ठहरी हुई थी?
मैं लिखता तुम्हारे बदन की बनावट को कि किस प्रकार ख़ुदा ने बड़ी ही बारीकी से नक्काशी करके ये जो सूरत गढ़ी है मानो जैसे अजंता की कोई बोलती मूरत हो।
मैं लिखता तुम्हारे गेशुओं से आती भीनी भीनी खुशबू को और लिखता तिलों से बनी आकाश गंगा को जिसमें मेरे अरमान सितारों के मानिंद समाहित होने को आतुर रहते।
मैं लिखता एक ऐसी दिलकश ग़ज़ल जो तुम्हारी खूबसूरती की हर एक अदा को बयां करती
और हां लिखने से पहले मैं पढ़ता तुम्हें अपनी उंगलियों के पोरों से कई दफा, बार बार हज़ार बार, तब तक जब तक मुझे तुम्हारे हुस्न की लिखावट समझ नहीं आ जाती..... लेकिन अगर समझ लेता तो फिर तुमसे मिलन की जो चाह अभी तक मेरे दिल के कोने में हिचकियां ले रही है वो शायद शांत हो जाती.. शून्य हो जाती।
और मैने ये कभी नहीं चाहा कि मेरी आरज़ू किसी अनाथ की भांति यूं मुझसे ही अलविदा कह दें।
और जब मैं जाने के लिए तुमसे इजाज़त लेता तो तुम्हारे कोमल पैरों में पहनी पाज़ेब की वो खनक मुझे #हम_दोनों फिल्म के उस गीत के बोल सुनाकर रोक लेती...#अभी_ना_जाओ_छोड़कर_कि_दिल_अभी_भरा_नहीं...
क्षण भर रुकने के बाद वापस से दौड़कर मैं लिपट जाता तुमसे, भर लेता अपने आगोश में और हो जाता विलीन तुम्हारी रूह में हमेशा के लिए, हमेशा.. हमेशा के लिए
कुछ इस तरह से हमारा प्रेम इस जहां में अमरत्व को पा लेता और लोग इस प्रेम की कहानियां गांव के पीपल वृक्ष के नीचे चौपाल पर बैठकर सुना करते।
काश........