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काश.... ❤️ ❤️

Rockzz

Epic Legend
इस संसार के प्रत्येक प्रेमी की तरह मेरी भी हजारों ख्वाहिशें थी उनमें से एक ये थी कि कभी तुम अपनी कोई बेशकीमती रात मुझे तोहफ़े में दो।
और उस रात तुम नींद को अवकाश देकर जागती मेरे साथ, मैं उन ख़ास लम्हों को कलम के सहारे अपनी सुनहरे मुखपृष्ठ वाली डायरी के वरक़ शब्द - मोतियों के रूप में टांक देता

मैं लिखता उन तमाम बातों को बड़े चाव से, तुम्हें सामने बिठाकर या यूं कहो कि अपने नज़दीक बिठाकर जो उस रात हमारे दरमियान होती।
मैं लिखता तुम्हारी आंखों के भंवर की गहराइयां, तुम्हारे लरज़ते होंठों पर जो बातें ना जाने कब से ठहरी हुई थी?

मैं लिखता तुम्हारे बदन की बनावट को कि किस प्रकार ख़ुदा ने बड़ी ही बारीकी से नक्काशी करके ये जो सूरत गढ़ी है मानो जैसे अजंता की कोई बोलती मूरत हो।
मैं लिखता तुम्हारे गेशुओं से आती भीनी भीनी खुशबू को और लिखता तिलों से बनी आकाश गंगा को जिसमें मेरे अरमान सितारों के मानिंद समाहित होने को आतुर रहते।
मैं लिखता एक ऐसी दिलकश ग़ज़ल जो तुम्हारी खूबसूरती की हर एक अदा को बयां करती❤️❤️

और हां लिखने से पहले मैं पढ़ता तुम्हें अपनी उंगलियों के पोरों से कई दफा, बार बार हज़ार बार, तब तक जब तक मुझे तुम्हारे हुस्न की लिखावट समझ नहीं आ जाती..... लेकिन अगर समझ लेता तो फिर तुमसे मिलन की जो चाह अभी तक मेरे दिल के कोने में हिचकियां ले रही है वो शायद शांत हो जाती.. शून्य हो जाती।
और मैने ये कभी नहीं चाहा कि मेरी आरज़ू किसी अनाथ की भांति यूं मुझसे ही अलविदा कह दें।

और जब मैं जाने के लिए तुमसे इजाज़त लेता तो तुम्हारे कोमल पैरों में पहनी पाज़ेब की वो खनक मुझे #हम_दोनों फिल्म के उस गीत के बोल सुनाकर रोक लेती...#अभी_ना_जाओ_छोड़कर_कि_दिल_अभी_भरा_नहीं...

क्षण भर रुकने के बाद वापस से दौड़कर मैं लिपट जाता तुमसे, भर लेता अपने आगोश में और हो जाता विलीन तुम्हारी रूह में हमेशा के लिए, हमेशा.. हमेशा के लिए❤️

कुछ इस तरह से हमारा प्रेम इस जहां में अमरत्व को पा लेता और लोग इस प्रेम की कहानियां गांव के पीपल वृक्ष के नीचे चौपाल पर बैठकर सुना करते।

काश........
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इस संसार के प्रत्येक प्रेमी की तरह मेरी भी हजारों ख्वाहिशें थी उनमें से एक ये थी कि कभी तुम अपनी कोई बेशकीमती रात मुझे तोहफ़े में दो।
और उस रात तुम नींद को अवकाश देकर जागती मेरे साथ, मैं उन ख़ास लम्हों को कलम के सहारे अपनी सुनहरे मुखपृष्ठ वाली डायरी के वरक़ शब्द - मोतियों के रूप में टांक देता

मैं लिखता उन तमाम बातों को बड़े चाव से, तुम्हें सामने बिठाकर या यूं कहो कि अपने नज़दीक बिठाकर जो उस रात हमारे दरमियान होती।
मैं लिखता तुम्हारी आंखों के भंवर की गहराइयां, तुम्हारे लरज़ते होंठों पर जो बातें ना जाने कब से ठहरी हुई थी?

मैं लिखता तुम्हारे बदन की बनावट को कि किस प्रकार ख़ुदा ने बड़ी ही बारीकी से नक्काशी करके ये जो सूरत गढ़ी है मानो जैसे अजंता की कोई बोलती मूरत हो।
मैं लिखता तुम्हारे गेशुओं से आती भीनी भीनी खुशबू को और लिखता तिलों से बनी आकाश गंगा को जिसमें मेरे अरमान सितारों के मानिंद समाहित होने को आतुर रहते।
मैं लिखता एक ऐसी दिलकश ग़ज़ल जो तुम्हारी खूबसूरती की हर एक अदा को बयां करती❤️❤️

और हां लिखने से पहले मैं पढ़ता तुम्हें अपनी उंगलियों के पोरों से कई दफा, बार बार हज़ार बार, तब तक जब तक मुझे तुम्हारे हुस्न की लिखावट समझ नहीं आ जाती..... लेकिन अगर समझ लेता तो फिर तुमसे मिलन की जो चाह अभी तक मेरे दिल के कोने में हिचकियां ले रही है वो शायद शांत हो जाती.. शून्य हो जाती।
और मैने ये कभी नहीं चाहा कि मेरी आरज़ू किसी अनाथ की भांति यूं मुझसे ही अलविदा कह दें।

और जब मैं जाने के लिए तुमसे इजाज़त लेता तो तुम्हारे कोमल पैरों में पहनी पाज़ेब की वो खनक मुझे #हम_दोनों फिल्म के उस गीत के बोल सुनाकर रोक लेती...#अभी_ना_जाओ_छोड़कर_कि_दिल_अभी_भरा_नहीं...

क्षण भर रुकने के बाद वापस से दौड़कर मैं लिपट जाता तुमसे, भर लेता अपने आगोश में और हो जाता विलीन तुम्हारी रूह में हमेशा के लिए, हमेशा.. हमेशा के लिए❤️

कुछ इस तरह से हमारा प्रेम इस जहां में अमरत्व को पा लेता और लोग इस प्रेम की कहानियां गांव के पीपल वृक्ष के नीचे चौपाल पर बैठकर सुना करते।

काश........
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Are wah kitni diwangi hai...
 
इस संसार के प्रत्येक प्रेमी की तरह मेरी भी हजारों ख्वाहिशें थी उनमें से एक ये थी कि कभी तुम अपनी कोई बेशकीमती रात मुझे तोहफ़े में दो।
और उस रात तुम नींद को अवकाश देकर जागती मेरे साथ, मैं उन ख़ास लम्हों को कलम के सहारे अपनी सुनहरे मुखपृष्ठ वाली डायरी के वरक़ शब्द - मोतियों के रूप में टांक देता

मैं लिखता उन तमाम बातों को बड़े चाव से, तुम्हें सामने बिठाकर या यूं कहो कि अपने नज़दीक बिठाकर जो उस रात हमारे दरमियान होती।
मैं लिखता तुम्हारी आंखों के भंवर की गहराइयां, तुम्हारे लरज़ते होंठों पर जो बातें ना जाने कब से ठहरी हुई थी?

मैं लिखता तुम्हारे बदन की बनावट को कि किस प्रकार ख़ुदा ने बड़ी ही बारीकी से नक्काशी करके ये जो सूरत गढ़ी है मानो जैसे अजंता की कोई बोलती मूरत हो।
मैं लिखता तुम्हारे गेशुओं से आती भीनी भीनी खुशबू को और लिखता तिलों से बनी आकाश गंगा को जिसमें मेरे अरमान सितारों के मानिंद समाहित होने को आतुर रहते।
मैं लिखता एक ऐसी दिलकश ग़ज़ल जो तुम्हारी खूबसूरती की हर एक अदा को बयां करती❤️❤️

और हां लिखने से पहले मैं पढ़ता तुम्हें अपनी उंगलियों के पोरों से कई दफा, बार बार हज़ार बार, तब तक जब तक मुझे तुम्हारे हुस्न की लिखावट समझ नहीं आ जाती..... लेकिन अगर समझ लेता तो फिर तुमसे मिलन की जो चाह अभी तक मेरे दिल के कोने में हिचकियां ले रही है वो शायद शांत हो जाती.. शून्य हो जाती।
और मैने ये कभी नहीं चाहा कि मेरी आरज़ू किसी अनाथ की भांति यूं मुझसे ही अलविदा कह दें।

और जब मैं जाने के लिए तुमसे इजाज़त लेता तो तुम्हारे कोमल पैरों में पहनी पाज़ेब की वो खनक मुझे #हम_दोनों फिल्म के उस गीत के बोल सुनाकर रोक लेती...#अभी_ना_जाओ_छोड़कर_कि_दिल_अभी_भरा_नहीं...

क्षण भर रुकने के बाद वापस से दौड़कर मैं लिपट जाता तुमसे, भर लेता अपने आगोश में और हो जाता विलीन तुम्हारी रूह में हमेशा के लिए, हमेशा.. हमेशा के लिए❤️

कुछ इस तरह से हमारा प्रेम इस जहां में अमरत्व को पा लेता और लोग इस प्रेम की कहानियां गांव के पीपल वृक्ष के नीचे चौपाल पर बैठकर सुना करते।

काश........
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Nice
 
काश..
जलकर राख हो जाए अब..
वो सब यादें..वो सारी बातें..जो दफन हैं सीने मे मेरे..

काश..
खत्म हो अब वो सारी कोशिशें मेरी..
उन रिश्तों को बचाने की..
जिन्होंने मुझे
सिर्फ एक भीड़ का हिस्सा बना कर रख दिया..

काश..
टूट जाए अब..वो सारी रही-सही उम्मीदें भी मेरी..
जो उन रिश्तों से लगाए बैठा हूँ..
जो कभी मेरा होना ही नही चाहते..

काश..
नजर आना बंद हो जाएँ मुझे..वो सारे रिश्ते..
जिन्हें अपनी पलकों पर बिठाने के बावजूद भी..
मैं उन्हें कभी नजर ही नही आया..

काश..
सारी संवेदनाएँ अब मर जाएँ मेरी..
उन रिश्तों के लिये..
जिन्हें मेरी भावनाओं की कोई कद्र नही..

ताकि..
ग़मों का ये अहसास होना बंद हो जाए..
और शब्दों का चल रहा ये खेल
रुक जाए हमेशा के लिये..

क्योंकि
अब ये एकतरफा रिश्ते निभाए नही जाते मुझसे..
इन एकतरफा रिश्तों के बोझ तले..
इस कदर दब गया हूँ..
कि अब खुलकर साँस भी नही ले पा रहा हूँ..

इन एकतरफा रिश्तों के लिये..
गुलाब के उस फूल से ज्यादा कुछ भी नही मैं..
जो किताब के पन्नों के बीच दबकर..
एक दिन..दम तोड़ देगा....!!


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