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इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था ।

sssingh

✨The Sanskari Shayari on ZoZo✨
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एक बचपन का ज़माना था ,
जिसमे खुशियों का खज़ाना था ,
चाहत चांद को पाने को थी,
पर दिल तितली का दीवाना था ,
खबर न थी कुछ सुबह की न शाम का ठिकाना था,
थके हारे स्कूल से लौट आना फिर भी खेलने जाना था ,
मां की कहानी थी , परियों का फसाना था ,
बारिश में कागज की नांव थी , हर मौसम सुहाना था ,
खेलने साथी हुआ करते थे , हर रिश्ता निभाना था ,
रोने की न कोई वजह हुआ करती थी , न हंसने का बहाना था,
क्यों इतने बड़े हो गए हम?
इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था ।
 
वो क्या दिन थे मम्मी की गोद और पापा के कंधे न पैसे की सोच और न लाइफ के फंडे न कल की चिंता और न फ्यूचर के सपने अब कल की फिकर और अधूरे सपने मुड़ कर देखा तो बहुत दूर हैं अपने मंजिलों को ढूंडते हम कहाँ खो गए न जाने क्यूँ हम इतने बड़े हो गए
 
कागज की कश्ती थी पानी का किनारा था, खेलने की मस्ती थी ये दिल अवारा था, कहाँ आ गए इस समझदारी के दलदल में, वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था ।:hearteyes:
 
मुद्दतें हो गईं, चाँद देखे हुए
वो बचपन के दिन भी हवा हो गये।।

नन्हीं सी तितली, वो छोटी सी चिड़िया
अब सारे के सारे ख़फ़ा हो गये।।

वो कागज़ की नाव पे तैरा था दिल
मेरे प्यारे घरौंदे तबाह हो गये।।

बचपन के सपने तो पूरे हुए
पर हम ही मगर अब फ़ना हो गये।

मुद्दतें हो गई चाँद देखे हुए

वो बचपन के दिन भी हवा हो गए।।
 
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