इच्छाशक्ति
_____________
दुनिया में सबसे अधिक कोई बलवान है तो वह मनुष्य की इच्छाशक्ति है इसके माध्यम से आपको कोई भी वांछित वस्तु मिल सकती है। यकिन करिये जहा चाह होगी तो राह अपने आप मिल जाती है। दुनिया की हर चीज प्राप्त हो सकती है जो व्यक्ति का जुनून बन जाती हो इसके लिए आगे बढ़ना... महान..बनना और सफलता हेतु यत्न करना होता है।
हर व्यक्ति को कुछ अलग करने की "इच्छा" जरूर रखनी चाहिए। इस संसार के जितने भी ईश्वर प्रदत्त प्राकृतिक, अन्य संसाधन उपलब्ध हैं, वे सभी हम मनुष्यों के लिए ही बने हैं। यदि आपने अपने दोनों हाथ आँखों पर रखे हुए हैं और चिल्ला रहे है कि यहा बहुत अँधेरा है कुछ भी करना सूझता ही नही है तो पहिले अपने हाथ आंखों पर से हटा लीजिए फिर देखिये चारों तरफ कितना प्रकाश है।__
यहां किसी कमजोर को कभी कुछ भी नहीं मिलता केवल साहसी, मनोबल के धनी लोग ही सब कुछ प्राप्त करते है। अपनी अकर्मण्यता छोङ कमजोरी, कायरता के अंधेरे से बाहर निकलिये और पुरुषार्थ से दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ने का सपना न केवल संजोये
बल्कि पूरा करने मे जी जान से जूट जाये ।
विश्वास कीजिए हर चीज आपकी पहुंच सीमा मे आपकी होगी।
जब "शब्द " ठंठी फुहार कि तरहा बरसते हैं
बूंदें बनकर मौसम कोई भी क्यों ना हो मन वावरा भीग ही जाता है..
_____________
दुनिया में सबसे अधिक कोई बलवान है तो वह मनुष्य की इच्छाशक्ति है इसके माध्यम से आपको कोई भी वांछित वस्तु मिल सकती है। यकिन करिये जहा चाह होगी तो राह अपने आप मिल जाती है। दुनिया की हर चीज प्राप्त हो सकती है जो व्यक्ति का जुनून बन जाती हो इसके लिए आगे बढ़ना... महान..बनना और सफलता हेतु यत्न करना होता है।
हर व्यक्ति को कुछ अलग करने की "इच्छा" जरूर रखनी चाहिए। इस संसार के जितने भी ईश्वर प्रदत्त प्राकृतिक, अन्य संसाधन उपलब्ध हैं, वे सभी हम मनुष्यों के लिए ही बने हैं। यदि आपने अपने दोनों हाथ आँखों पर रखे हुए हैं और चिल्ला रहे है कि यहा बहुत अँधेरा है कुछ भी करना सूझता ही नही है तो पहिले अपने हाथ आंखों पर से हटा लीजिए फिर देखिये चारों तरफ कितना प्रकाश है।__
यहां किसी कमजोर को कभी कुछ भी नहीं मिलता केवल साहसी, मनोबल के धनी लोग ही सब कुछ प्राप्त करते है। अपनी अकर्मण्यता छोङ कमजोरी, कायरता के अंधेरे से बाहर निकलिये और पुरुषार्थ से दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ने का सपना न केवल संजोये
बल्कि पूरा करने मे जी जान से जूट जाये ।
विश्वास कीजिए हर चीज आपकी पहुंच सीमा मे आपकी होगी।
जब "शब्द " ठंठी फुहार कि तरहा बरसते हैं
बूंदें बनकर मौसम कोई भी क्यों ना हो मन वावरा भीग ही जाता है..