हर किसी को अपनी पसंद पर नाज होता है,,,
मोहब्बत का गम होता बहुत है ,की अब ये लफ्ज़ रुसवा बहुत है।।
उदासी का सबब मैं क्या बताऊं,,,
गाली कूचों मैं सन्नाटा बहुत है,,
ना मिलने की कसम खा के भी मैने,,
तुम्हे हर राह मैं ढूंढा बहुत है।।
ये आंखें और क्या देखें किसी को
इन आंखों ने तुझे देखा बहुत है।...