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समय और सत्य का मिलन असम्भव है

Satya

Epic Legend
Senior's
Chat Pro User
समय चलता रहता है,
क्षण से क्षण,
विचार से विचार,
स्मृति से सम्भावना तक।


सत्य गतिहीन है,
न वह आता है, न जाता है,
वह केवल वर्तमान में प्रतिष्ठित है।

जब समय सत्य को स्पर्श करता है,
तभी सत्य विचार बन जाता है।
विचार नश्वर है,
पर सत्य अविनाशी।

अतः जानो,
सत्य को प्राप्त नहीं किया जाता,
सत्य तो प्रकट होता है
उस निःशब्द क्षण में,
जहाँ समय मौन हो जाता है।
 
समय चलता रहता है,
क्षण से क्षण,
विचार से विचार,
स्मृति से सम्भावना तक।


सत्य गतिहीन है,
न वह आता है, न जाता है,
वह केवल वर्तमान में प्रतिष्ठित है।

जब समय सत्य को स्पर्श करता है,
तभी सत्य विचार बन जाता है।
विचार नश्वर है,
पर सत्य अविनाशी।


अतः जानो,
सत्य को प्राप्त नहीं किया जाता,
सत्य तो प्रकट होता है
उस निःशब्द क्षण में,
जहाँ समय मौन हो जाता है।
Very beautiful and thoughtful poem! Deep meaning hidden in each line.
Awesome Intelligence
 
समय चलता रहता है,
क्षण से क्षण,
विचार से विचार,
स्मृति से सम्भावना तक।


सत्य गतिहीन है,
न वह आता है, न जाता है,
वह केवल वर्तमान में प्रतिष्ठित है।

जब समय सत्य को स्पर्श करता है,
तभी सत्य विचार बन जाता है।
विचार नश्वर है,
पर सत्य अविनाशी।


अतः जानो,
सत्य को प्राप्त नहीं किया जाता,
सत्य तो प्रकट होता है
उस निःशब्द क्षण में,
जहाँ समय मौन हो जाता है।
सत्य
 
समय चलता रहता है,
क्षण से क्षण,
विचार से विचार,
स्मृति से सम्भावना तक।


सत्य गतिहीन है,
न वह आता है, न जाता है,
वह केवल वर्तमान में प्रतिष्ठित है।

जब समय सत्य को स्पर्श करता है,
तभी सत्य विचार बन जाता है।
विचार नश्वर है,
पर सत्य अविनाशी।


अतः जानो,
सत्य को प्राप्त नहीं किया जाता,
सत्य तो प्रकट होता है
उस निःशब्द क्षण में,
जहाँ समय मौन हो जाता है।
Very nice... :clapping::clapping:
 
समय चलता रहता है,
क्षण से क्षण,
विचार से विचार,
स्मृति से सम्भावना तक।


सत्य गतिहीन है,
न वह आता है, न जाता है,
वह केवल वर्तमान में प्रतिष्ठित है।

जब समय सत्य को स्पर्श करता है,
तभी सत्य विचार बन जाता है।
विचार नश्वर है,
पर सत्य अविनाशी।


अतः जानो,
सत्य को प्राप्त नहीं किया जाता,
सत्य तो प्रकट होता है
उस निःशब्द क्षण में,
जहाँ समय मौन हो जाता है।
Wahhh bhut achaa
 
समय चलता रहता है,
क्षण से क्षण,
विचार से विचार,
स्मृति से सम्भावना तक।


सत्य गतिहीन है,
न वह आता है, न जाता है,
वह केवल वर्तमान में प्रतिष्ठित है।

जब समय सत्य को स्पर्श करता है,
तभी सत्य विचार बन जाता है।
विचार नश्वर है,
पर सत्य अविनाशी।


अतः जानो,
सत्य को प्राप्त नहीं किया जाता,
सत्य तो प्रकट होता है
उस निःशब्द क्षण में,
जहाँ समय मौन हो जाता है।
gambhir baat
 
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