समय चलता रहता है,
क्षण से क्षण,
विचार से विचार,
स्मृति से सम्भावना तक।
सत्य गतिहीन है,
न वह आता है, न जाता है,
वह केवल वर्तमान में प्रतिष्ठित है।
जब समय सत्य को स्पर्श करता है,
तभी सत्य विचार बन जाता है।
विचार नश्वर है,
पर सत्य अविनाशी।
अतः जानो,
सत्य को प्राप्त नहीं किया जाता,
सत्य तो प्रकट होता है
उस निःशब्द क्षण में,
जहाँ समय मौन हो जाता है।
क्षण से क्षण,
विचार से विचार,
स्मृति से सम्भावना तक।
सत्य गतिहीन है,
न वह आता है, न जाता है,
वह केवल वर्तमान में प्रतिष्ठित है।
जब समय सत्य को स्पर्श करता है,
तभी सत्य विचार बन जाता है।
विचार नश्वर है,
पर सत्य अविनाशी।
अतः जानो,
सत्य को प्राप्त नहीं किया जाता,
सत्य तो प्रकट होता है
उस निःशब्द क्षण में,
जहाँ समय मौन हो जाता है।






