लोग प्यार–प्यार कहते हैं, पर प्यार होता नहीं,
होंठों तक तो आ जाता है, दिल तक पहुँचता नहीं।
हर कोई चाहत का दावा करता है खुले आसमान में,
मगर निभाने की घड़ी आए तो साथ कोई देता नहीं।
प्यार तो त्याग है, भरोसा है, एहसास का दरिया है,
मगर लोगों ने इसे खेल बना डाला, बस दिखावा है।
काश प्यार उतना ही सच्चा होता जितना लोग कहते हैं,
तो कोई टूटे दिल से तन्हा रातों में रोता नहीं।
होंठों तक तो आ जाता है, दिल तक पहुँचता नहीं।
हर कोई चाहत का दावा करता है खुले आसमान में,
मगर निभाने की घड़ी आए तो साथ कोई देता नहीं।
प्यार तो त्याग है, भरोसा है, एहसास का दरिया है,
मगर लोगों ने इसे खेल बना डाला, बस दिखावा है।
काश प्यार उतना ही सच्चा होता जितना लोग कहते हैं,
तो कोई टूटे दिल से तन्हा रातों में रोता नहीं।