प्यास लगी थी गजब की... मगर
पानी में जहर था....पीते तो मर
जाते और ना पीते तो भी मर जाते...
यहीं दो मसले जिंदगी भर हल ना हुए।
ना निंद पूरी हुई ना ख्वाब मुकम्मल हुए।।
ववक्त ने कहा..... काश थोड़ा और सब्र होता।।
सब्र ने कहाँ... काश थोड़ा और वक्त होता।।
शिकायते तो बहुत है तुझसे ए जिंदगी,
पर चुप इसलिए हु की,
जो दिया तूने, वो भी हर किसी को
नशीब नही होता।।
पानी में जहर था....पीते तो मर
जाते और ना पीते तो भी मर जाते...
यहीं दो मसले जिंदगी भर हल ना हुए।
ना निंद पूरी हुई ना ख्वाब मुकम्मल हुए।।
ववक्त ने कहा..... काश थोड़ा और सब्र होता।।
सब्र ने कहाँ... काश थोड़ा और वक्त होता।।
शिकायते तो बहुत है तुझसे ए जिंदगी,
पर चुप इसलिए हु की,
जो दिया तूने, वो भी हर किसी को
नशीब नही होता।।