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तवायफ (फूल)

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हमारे गांव में ना, हमारे क्या हर हर एक के गांव में होता है एक एक ऐसा इंसान होता है जिसको पूरा समझदार भी नहीं कह सकते और पूरा पागल भी नहीं कह सकते मतलब उतनी चीज तो समझ पाता है कि खा ले तो खा लेगा पी ले तो पी लेगा
उठ, उठ जाएगा बैठ, बैठ जाएगा, यह ले पैसे यह ले थैली जा सामान लेके आ लेके आ भी जाएगा , उसको टेढ़ी चीज समझ में नहीं आती दुनियादारी समझ में नहीं, मतलब की बातें समझ में नहीं आती, भोला है बेचारा बहुत ज्यादा भोला है, चीजें इस कदर उसके लिए आसान है या फिर इस कदर दुनिया उसने देखी कि उसके लिए बुरी चीजें बस दो ही है दुनिया में झूठ बोलना और चोरी करना उससे आगे की दुनिया उसने देखी ही नहीं

तो है ना उसके घर में पूजा होती है शाम के बजे सात और घर वाले कहते कि बेटा ये लो पैसे यह लो थैली और जाओ घर के नीचे वाली जो दुकान है बस वहां से फूल लेके आओ, बेचारा जाता है नीचे और बाहर नीचे जाते ही उसको दिखता है कि सारे दुकान तो बंद है फिर वह अगली गली में जाता है, फिर अगली, फिर अगली, फिर गुम हो जाता है
फिर एक चौराहे में आके खड़ा हो जाता है वहां पे दो रास्ते खुल जाते हैं वो कंफ्यूज कहां जाए क्योंकि देखो फूल यहां भी है फूल यहां भी है, महक यहां से भी आ रही है महक यहां से भी आ रही है फर्क बस इतना है कि यहां डाली में है यहां बालों में है। क्या उसके दिमाग में सवाल आने शुरू हो जाते हैं कि यह कैसी फूलो की सेद सजाकर बैठे हैं मतलब यहां डाली नहीं है कुछ नहीं है और यह बस गुलाब है मोगरा है और यहां पर सारे मर्द फूल बेच रहे यहां पर सारी औरतें फूल बेच रही है यहां पर हर एक घर का मर्द है यहां पर किसी भी घर में कोई भी मर्द घुसे जा रहा है मुझे तो लगता है कि यह जो है यह है ना यह अपने गांव का चोरों का अड्डा है उसको लगता है कि मैंने बहुत बड़ी खोज कर दी जो आज तक पुलिस नहीं कर पाई वो मैंने की उसे लगता है कि ये फूलों की सेज सजाकर फूलों का धंधा उसके उसके नीचे अपना चोरी का धंधा चला रहे हैं दिन में फूल बेच रहे हैं और रात में चोरी का अड्डा खोल रहे सारे चोर यहां पे है गाव के
तो भागते भागते थाने में जाता है और थाने में जाकर कोतवाल से कहता है, क्या कहता है कि
कोतवाली की एक शाबास हमको भी कोई पकड़ा दो , कोतवाली की एक साबाशी हमको भी कोई पकड़ा दो
सिलवा लेंगे खुद पर कोई लाकर खाकी कपड़ा दो, ये चोरों की गुमनाम गली को कल ही हमने ढूंढा था ठेलो की थी सेद लगी शायद फूलों का धंधा था अब धंधा बंधा झूठ साहिब हमको पूरा यकीन है रात को फूल खरीदेगा, कौन इतना शौकीन है भाई


गिरवा गिरवा सफेद हरी लाइट बीच में नीला नीला भी इंद्र धनु भी शर्मा जाए फीका पड़े हर मेला भी इतनी रोशनी होकर भी गलियों में घुप्प अँधेरा था वही छुपते चोर व शायद उनका वही बसेरा था तभी एक मोहतरमा को एक नजर क्या देख लिया हाथ में पकड़ा गुलाब उन्होंने मेरी तरफ ही फेंक दिया वो फूल वाली थी शायद वो फूल वाली थी शायद वो पर चोरों से थी मिली हुई और खूबसूरत थी वैसे बहुत पर उम्र जरा से ढली हुई, तो मैंने बोला फूल दिखाओ वो बोली जरा पास तो आओ जबरदस्ती फिर अंदर खींचा मैंने बोला नहीं नहीं वो बोली बस 200 दे दे सुबह से बोनी हुई नहीं
अच्छा बाबा कौन से फुल है वो बोली जो तुमको भाए, ऐसा है तो गजरे दे दो आपने जोल में लगाए तो गुस्से से बोली पागल है, क्या दे दो?
शर्ट और खोल पजामा कब से खड़ा है मूरख बाहर चल अंदर, एक बात बताना क्या सोच कर आया था तू यहां पर तुझको फूल मिलेंगे
रेगिस्तान है मंजर बेटा यहां पर कैसे फूल खिलेंगे, ले ले मुझको या आगे बढ़ जा यहां ग्राहकों की कमी नहीं है
हम इतर वाले फूल है बेटा हम में खुशबू सनी हुई है बड़े महंगे बिकते हैं हम हमें किसी बात की कमी नहीं लोग हम पर सोने आते हैं बस हमारे नीचे जमी नहीं ।

कोतवाल बोला बाहर निकल तू उठ जा साले, बाहर निकल तू, मैं मां बहन पर आ जाऊंगा तवायफ को चोर बताकर सोचा अफसर हो जाऊंगा तो वो कहता कि
माफ करना साहिब, माफ करना साहिब बस एक आखिरी विनती है तीन साल 6 महीना दो दिन ये अब तक की गिनती है
एक शिकायत दर्ज हुई थी लड़की के गुम हो जाने ने की वही दिखी थी मुझको कल वो एक धुन सुनी थी रोने की, वो गजरे वाली, वो गजरे वाली रूठ गई थी
बोली फिर से आना नहीं मेरी तरह थी मूर्ख
शायद अपने भाई को पहचाना नहीं
 
Last edited:
हमारे गांव में ना, हमारे क्या हर हर एक के गांव में होता है एक एक ऐसा इंसान होता है जिसको पूरा समझदार भी नहीं कह सकते और पूरा पागल भी नहीं कह सकते मतलब उतनी चीज तो समझ पाता है कि खा ले तो खा लेगा पी ले तो पी लेगा
उठ, उठ जाएगा बैठ, बैठ जाएगा, यह ले पैसे यह ले थैली जा सामान लेके आ लेके आ भी जाएगा , उसको टेढ़ी चीज समझ में नहीं आती दुनियादारी समझ में नहीं, मतलब की बातें समझ में नहीं आती, भोला है बेचारा बहुत ज्यादा भोला है, चीजें इस कदर उसके लिए आसान है या फिर इस कदर दुनिया उसने देखी कि उसके लिए बुरी चीजें बस दो ही है दुनिया में झूठ बोलना और चोरी करना उससे आगे की दुनिया उसने देखी ही नहीं

तो है ना उसके घर में पूजा होती है शाम के बजे सात और घर वाले कहते कि बेटा ये लो पैसे यह लो थैली और जाओ घर के नीचे वाली जो दुकान है बस वहां से फूल लेके आओ, बेचारा जाता है नीचे और बाहर नीचे जाते ही उसको दिखता है कि सारे दुकान तो बंद है फिर वह अगली गली में जाता है, फिर अगली, फिर अगली, फिर गुम हो जाता है
फिर एक चौराहे में आके खड़ा हो जाता है वहां पे दो रास्ते खुल जाते हैं वो कंफ्यूज कहां जाए क्योंकि देखो फूल यहां भी है फूल यहां भी है, महक यहां से भी आ रही है महक यहां से भी आ रही है फर्क बस इतना है कि यहां डाली में है यहां बालों में है। क्या उसके दिमाग में सवाल आने शुरू हो जाते हैं कि यह कैसी फूलो की सेद सजाकर बैठे हैं मतलब यहां डाली नहीं है कुछ नहीं है और यह बस गुलाब है मोगरा है और यहां पर सारे मर्द फूल बेच रहे यहां पर सारी औरतें फूल बेच रही है यहां पर हर एक घर का मर्द है यहां पर किसी भी घर में कोई भी मर्द घुसे जा रहा है मुझे तो लगता है कि यह जो है यह है ना यह अपने गांव का चोरों का अड्डा है उसको लगता है कि मैंने बहुत बड़ी खोज कर दी जो आज तक पुलिस नहीं कर पाई वो मैंने की उसे लगता है कि ये फूलों की सेज सजाकर फूलों का धंधा उसके उसके नीचे अपना चोरी का धंधा चला रहे हैं दिन में फूल बेच रहे हैं और रात में चोरी का अड्डा खोल रहे सारे चोर यहां पे है गाव के
तो भागते भागते थाने में जाता है और थाने में जाकर कोतवाल से कहता है, क्या कहता है कि
कोतवाली की एक शाबास हमको भी कोई पकड़ा दो , कोतवाली की एक साबाशी हमको भी कोई पकड़ा दो
सिलवा लेंगे खुद पर कोई लाकर खाकी कपड़ा दो, ये चोरों की गुमनाम गली को कल ही हमने ढूंढा था ठेलो की थी सेद लगी शायद फूलों का धंधा था अब धंधा बंधा झूठ साहिब हमको पूरा यकीन है रात को फूल खरीदेगा, कौन इतना शौकीन है भाई


गिरवा गिरवा सफेद हरी लाइट बीच में नीला नीला भी इंद्र धनु भी शर्मा जाए फीका पड़े हर मेला भी इतनी रोशनी होकर भी गलियों में घुप्प अँधेरा था वही छुपते चोर व शायद उनका वही बसेरा था तभी एक मोहतरमा को एक नजर क्या देख लिया हाथ में पकड़ा गुलाब उन्होंने मेरी तरफ ही फेंक दिया वो फूल वाली थी शायद वो फूल वाली थी शायद वो पर चोरों से थी मिली हुई और खूबसूरत थी वैसे बहुत पर उम्र जरा से ढली हुई, तो मैंने बोला फूल दिखाओ वो बोली जरा पास तो आओ जबरदस्ती फिर अंदर खींचा मैंने बोला नहीं नहीं वो बोली बस 200 दे दे सुबह से बोनी हुई नहीं
अच्छा बाबा कौन से फुल है वो बोली जो तुमको भाए, ऐसा है तो गजरे दे दो आपने जोल में लगाए तो गुस्से से बोली पागल है, क्या दे दो?
शर्ट और खोल पजामा कब से खड़ा है मूरख बाहर चल अंदर, एक बात बताना क्या सोच कर आया था तू यहां पर तुझको फूल मिलेंगे
रेगिस्तान है मंजर बेटा यहां पर कैसे फूल खिलेंगे, ले ले मुझको या आगे बढ़ जा यहां ग्राहकों की कमी नहीं है
हम इतर वाले फूल है बेटा हम में खुशबू सनी हुई है बड़े महंगे बिकते हैं हम हमें किसी बात की कमी नहीं लोग हम पर सोने आते हैं बस हमारे नीचे जमी नहीं ।

कोतवाल बोला बाहर निकल तू उठ जा साले, बाहर निकल तू, मैं मां बहन पर आ जाऊंगा तवायफ को चोर बताकर सोचा अफसर हो जाऊंगा तो वो कहता कि
माफ करना साहिब, माफ करना साहिब बस एक आखिरी विनती है तीन साल 6 महीना दो दिन ये अब तक की गिनती है
एक शिकायत दर्ज हुई थी लड़की के गुम हो जाने ने की वही दिखी थी मुझको कल वो एक धुन सुनी थी रोने की, वो गजरे वाली, वो गजरे वाली रूठ गई थी
बोली फिर से आना नहीं मेरी तरह थी मूर्ख
शायद अपने भाई को पहचाना नहीं
:smoking:
 
हमारे गांव में ना, हमारे क्या हर हर एक के गांव में होता है एक एक ऐसा इंसान होता है जिसको पूरा समझदार भी नहीं कह सकते और पूरा पागल भी नहीं कह सकते मतलब उतनी चीज तो समझ पाता है कि खा ले तो खा लेगा पी ले तो पी लेगा
उठ, उठ जाएगा बैठ, बैठ जाएगा, यह ले पैसे यह ले थैली जा सामान लेके आ लेके आ भी जाएगा , उसको टेढ़ी चीज समझ में नहीं आती दुनियादारी समझ में नहीं, मतलब की बातें समझ में नहीं आती, भोला है बेचारा बहुत ज्यादा भोला है, चीजें इस कदर उसके लिए आसान है या फिर इस कदर दुनिया उसने देखी कि उसके लिए बुरी चीजें बस दो ही है दुनिया में झूठ बोलना और चोरी करना उससे आगे की दुनिया उसने देखी ही नहीं

तो है ना उसके घर में पूजा होती है शाम के बजे सात और घर वाले कहते कि बेटा ये लो पैसे यह लो थैली और जाओ घर के नीचे वाली जो दुकान है बस वहां से फूल लेके आओ, बेचारा जाता है नीचे और बाहर नीचे जाते ही उसको दिखता है कि सारे दुकान तो बंद है फिर वह अगली गली में जाता है, फिर अगली, फिर अगली, फिर गुम हो जाता है
फिर एक चौराहे में आके खड़ा हो जाता है वहां पे दो रास्ते खुल जाते हैं वो कंफ्यूज कहां जाए क्योंकि देखो फूल यहां भी है फूल यहां भी है, महक यहां से भी आ रही है महक यहां से भी आ रही है फर्क बस इतना है कि यहां डाली में है यहां बालों में है। क्या उसके दिमाग में सवाल आने शुरू हो जाते हैं कि यह कैसी फूलो की सेद सजाकर बैठे हैं मतलब यहां डाली नहीं है कुछ नहीं है और यह बस गुलाब है मोगरा है और यहां पर सारे मर्द फूल बेच रहे यहां पर सारी औरतें फूल बेच रही है यहां पर हर एक घर का मर्द है यहां पर किसी भी घर में कोई भी मर्द घुसे जा रहा है मुझे तो लगता है कि यह जो है यह है ना यह अपने गांव का चोरों का अड्डा है उसको लगता है कि मैंने बहुत बड़ी खोज कर दी जो आज तक पुलिस नहीं कर पाई वो मैंने की उसे लगता है कि ये फूलों की सेज सजाकर फूलों का धंधा उसके उसके नीचे अपना चोरी का धंधा चला रहे हैं दिन में फूल बेच रहे हैं और रात में चोरी का अड्डा खोल रहे सारे चोर यहां पे है गाव के
तो भागते भागते थाने में जाता है और थाने में जाकर कोतवाल से कहता है, क्या कहता है कि
कोतवाली की एक शाबास हमको भी कोई पकड़ा दो , कोतवाली की एक साबाशी हमको भी कोई पकड़ा दो
सिलवा लेंगे खुद पर कोई लाकर खाकी कपड़ा दो, ये चोरों की गुमनाम गली को कल ही हमने ढूंढा था ठेलो की थी सेद लगी शायद फूलों का धंधा था अब धंधा बंधा झूठ साहिब हमको पूरा यकीन है रात को फूल खरीदेगा, कौन इतना शौकीन है भाई


गिरवा गिरवा सफेद हरी लाइट बीच में नीला नीला भी इंद्र धनु भी शर्मा जाए फीका पड़े हर मेला भी इतनी रोशनी होकर भी गलियों में घुप्प अँधेरा था वही छुपते चोर व शायद उनका वही बसेरा था तभी एक मोहतरमा को एक नजर क्या देख लिया हाथ में पकड़ा गुलाब उन्होंने मेरी तरफ ही फेंक दिया वो फूल वाली थी शायद वो फूल वाली थी शायद वो पर चोरों से थी मिली हुई और खूबसूरत थी वैसे बहुत पर उम्र जरा से ढली हुई, तो मैंने बोला फूल दिखाओ वो बोली जरा पास तो आओ जबरदस्ती फिर अंदर खींचा मैंने बोला नहीं नहीं वो बोली बस 200 दे दे सुबह से बोनी हुई नहीं
अच्छा बाबा कौन से फुल है वो बोली जो तुमको भाए, ऐसा है तो गजरे दे दो आपने जोल में लगाए तो गुस्से से बोली पागल है, क्या दे दो?
शर्ट और खोल पजामा कब से खड़ा है मूरख बाहर चल अंदर, एक बात बताना क्या सोच कर आया था तू यहां पर तुझको फूल मिलेंगे
रेगिस्तान है मंजर बेटा यहां पर कैसे फूल खिलेंगे, ले ले मुझको या आगे बढ़ जा यहां ग्राहकों की कमी नहीं है
हम इतर वाले फूल है बेटा हम में खुशबू सनी हुई है बड़े महंगे बिकते हैं हम हमें किसी बात की कमी नहीं लोग हम पर सोने आते हैं बस हमारे नीचे जमी नहीं ।

कोतवाल बोला बाहर निकल तू उठ जा साले, बाहर निकल तू, मैं मां बहन पर आ जाऊंगा तवायफ को चोर बताकर सोचा अफसर हो जाऊंगा तो वो कहता कि
माफ करना साहिब, माफ करना साहिब बस एक आखिरी विनती है तीन साल 6 महीना दो दिन ये अब तक की गिनती है
एक शिकायत दर्ज हुई थी लड़की के गुम हो जाने ने की वही दिखी थी मुझको कल वो एक धुन सुनी थी रोने की, वो गजरे वाली, वो गजरे वाली रूठ गई थी
बोली फिर से आना नहीं मेरी तरह थी मूर्ख
शायद अपने भाई को पहचाना नहीं
Wow. Emotional kar diya. Kya socha tha padhte padhte aur kya nikla. Superb twist n turns. Kash sach me khi aisa n hota ho aur ye just kalpnik hi ho. Let me be selfish. Akele pan me jyada rha kar . Aur jazbaat ko umadne de aur likh ke hmare sath share kiya akr. :cool:
 
Wow. Emotional kar diya. Kya socha tha padhte padhte aur kya nikla. Superb twist n turns. Kash sach me khi aisa n hota ho aur ye just kalpnik hi ho. Let me be selfish. Akele pan me jyada rha kar . Aur jazbaat ko umadne de aur likh ke hmare sath share kiya akr. :cool:
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हमारे गांव में ना, हमारे क्या हर हर एक के गांव में होता है एक एक ऐसा इंसान होता है जिसको पूरा समझदार भी नहीं कह सकते और पूरा पागल भी नहीं कह सकते मतलब उतनी चीज तो समझ पाता है कि खा ले तो खा लेगा पी ले तो पी लेगा
उठ, उठ जाएगा बैठ, बैठ जाएगा, यह ले पैसे यह ले थैली जा सामान लेके आ लेके आ भी जाएगा , उसको टेढ़ी चीज समझ में नहीं आती दुनियादारी समझ में नहीं, मतलब की बातें समझ में नहीं आती, भोला है बेचारा बहुत ज्यादा भोला है, चीजें इस कदर उसके लिए आसान है या फिर इस कदर दुनिया उसने देखी कि उसके लिए बुरी चीजें बस दो ही है दुनिया में झूठ बोलना और चोरी करना उससे आगे की दुनिया उसने देखी ही नहीं

तो है ना उसके घर में पूजा होती है शाम के बजे सात और घर वाले कहते कि बेटा ये लो पैसे यह लो थैली और जाओ घर के नीचे वाली जो दुकान है बस वहां से फूल लेके आओ, बेचारा जाता है नीचे और बाहर नीचे जाते ही उसको दिखता है कि सारे दुकान तो बंद है फिर वह अगली गली में जाता है, फिर अगली, फिर अगली, फिर गुम हो जाता है
फिर एक चौराहे में आके खड़ा हो जाता है वहां पे दो रास्ते खुल जाते हैं वो कंफ्यूज कहां जाए क्योंकि देखो फूल यहां भी है फूल यहां भी है, महक यहां से भी आ रही है महक यहां से भी आ रही है फर्क बस इतना है कि यहां डाली में है यहां बालों में है। क्या उसके दिमाग में सवाल आने शुरू हो जाते हैं कि यह कैसी फूलो की सेद सजाकर बैठे हैं मतलब यहां डाली नहीं है कुछ नहीं है और यह बस गुलाब है मोगरा है और यहां पर सारे मर्द फूल बेच रहे यहां पर सारी औरतें फूल बेच रही है यहां पर हर एक घर का मर्द है यहां पर किसी भी घर में कोई भी मर्द घुसे जा रहा है मुझे तो लगता है कि यह जो है यह है ना यह अपने गांव का चोरों का अड्डा है उसको लगता है कि मैंने बहुत बड़ी खोज कर दी जो आज तक पुलिस नहीं कर पाई वो मैंने की उसे लगता है कि ये फूलों की सेज सजाकर फूलों का धंधा उसके उसके नीचे अपना चोरी का धंधा चला रहे हैं दिन में फूल बेच रहे हैं और रात में चोरी का अड्डा खोल रहे सारे चोर यहां पे है गाव के
तो भागते भागते थाने में जाता है और थाने में जाकर कोतवाल से कहता है, क्या कहता है कि
कोतवाली की एक शाबास हमको भी कोई पकड़ा दो , कोतवाली की एक साबाशी हमको भी कोई पकड़ा दो
सिलवा लेंगे खुद पर कोई लाकर खाकी कपड़ा दो, ये चोरों की गुमनाम गली को कल ही हमने ढूंढा था ठेलो की थी सेद लगी शायद फूलों का धंधा था अब धंधा बंधा झूठ साहिब हमको पूरा यकीन है रात को फूल खरीदेगा, कौन इतना शौकीन है भाई


गिरवा गिरवा सफेद हरी लाइट बीच में नीला नीला भी इंद्र धनु भी शर्मा जाए फीका पड़े हर मेला भी इतनी रोशनी होकर भी गलियों में घुप्प अँधेरा था वही छुपते चोर व शायद उनका वही बसेरा था तभी एक मोहतरमा को एक नजर क्या देख लिया हाथ में पकड़ा गुलाब उन्होंने मेरी तरफ ही फेंक दिया वो फूल वाली थी शायद वो फूल वाली थी शायद वो पर चोरों से थी मिली हुई और खूबसूरत थी वैसे बहुत पर उम्र जरा से ढली हुई, तो मैंने बोला फूल दिखाओ वो बोली जरा पास तो आओ जबरदस्ती फिर अंदर खींचा मैंने बोला नहीं नहीं वो बोली बस 200 दे दे सुबह से बोनी हुई नहीं
अच्छा बाबा कौन से फुल है वो बोली जो तुमको भाए, ऐसा है तो गजरे दे दो आपने जोल में लगाए तो गुस्से से बोली पागल है, क्या दे दो?
शर्ट और खोल पजामा कब से खड़ा है मूरख बाहर चल अंदर, एक बात बताना क्या सोच कर आया था तू यहां पर तुझको फूल मिलेंगे
रेगिस्तान है मंजर बेटा यहां पर कैसे फूल खिलेंगे, ले ले मुझको या आगे बढ़ जा यहां ग्राहकों की कमी नहीं है
हम इतर वाले फूल है बेटा हम में खुशबू सनी हुई है बड़े महंगे बिकते हैं हम हमें किसी बात की कमी नहीं लोग हम पर सोने आते हैं बस हमारे नीचे जमी नहीं ।

कोतवाल बोला बाहर निकल तू उठ जा साले, बाहर निकल तू, मैं मां बहन पर आ जाऊंगा तवायफ को चोर बताकर सोचा अफसर हो जाऊंगा तो वो कहता कि
माफ करना साहिब, माफ करना साहिब बस एक आखिरी विनती है तीन साल 6 महीना दो दिन ये अब तक की गिनती है
एक शिकायत दर्ज हुई थी लड़की के गुम हो जाने ने की वही दिखी थी मुझको कल वो एक धुन सुनी थी रोने की, वो गजरे वाली, वो गजरे वाली रूठ गई थी
बोली फिर से आना नहीं मेरी तरह थी मूर्ख
शायद अपने भाई को पहचाना नहीं
Bahut hi pyaari kahani__

:heart1:
 
हमारे गांव में ना, हमारे क्या हर हर एक के गांव में होता है एक एक ऐसा इंसान होता है जिसको पूरा समझदार भी नहीं कह सकते और पूरा पागल भी नहीं कह सकते मतलब उतनी चीज तो समझ पाता है कि खा ले तो खा लेगा पी ले तो पी लेगा
उठ, उठ जाएगा बैठ, बैठ जाएगा, यह ले पैसे यह ले थैली जा सामान लेके आ लेके आ भी जाएगा , उसको टेढ़ी चीज समझ में नहीं आती दुनियादारी समझ में नहीं, मतलब की बातें समझ में नहीं आती, भोला है बेचारा बहुत ज्यादा भोला है, चीजें इस कदर उसके लिए आसान है या फिर इस कदर दुनिया उसने देखी कि उसके लिए बुरी चीजें बस दो ही है दुनिया में झूठ बोलना और चोरी करना उससे आगे की दुनिया उसने देखी ही नहीं

तो है ना उसके घर में पूजा होती है शाम के बजे सात और घर वाले कहते कि बेटा ये लो पैसे यह लो थैली और जाओ घर के नीचे वाली जो दुकान है बस वहां से फूल लेके आओ, बेचारा जाता है नीचे और बाहर नीचे जाते ही उसको दिखता है कि सारे दुकान तो बंद है फिर वह अगली गली में जाता है, फिर अगली, फिर अगली, फिर गुम हो जाता है
फिर एक चौराहे में आके खड़ा हो जाता है वहां पे दो रास्ते खुल जाते हैं वो कंफ्यूज कहां जाए क्योंकि देखो फूल यहां भी है फूल यहां भी है, महक यहां से भी आ रही है महक यहां से भी आ रही है फर्क बस इतना है कि यहां डाली में है यहां बालों में है। क्या उसके दिमाग में सवाल आने शुरू हो जाते हैं कि यह कैसी फूलो की सेद सजाकर बैठे हैं मतलब यहां डाली नहीं है कुछ नहीं है और यह बस गुलाब है मोगरा है और यहां पर सारे मर्द फूल बेच रहे यहां पर सारी औरतें फूल बेच रही है यहां पर हर एक घर का मर्द है यहां पर किसी भी घर में कोई भी मर्द घुसे जा रहा है मुझे तो लगता है कि यह जो है यह है ना यह अपने गांव का चोरों का अड्डा है उसको लगता है कि मैंने बहुत बड़ी खोज कर दी जो आज तक पुलिस नहीं कर पाई वो मैंने की उसे लगता है कि ये फूलों की सेज सजाकर फूलों का धंधा उसके उसके नीचे अपना चोरी का धंधा चला रहे हैं दिन में फूल बेच रहे हैं और रात में चोरी का अड्डा खोल रहे सारे चोर यहां पे है गाव के
तो भागते भागते थाने में जाता है और थाने में जाकर कोतवाल से कहता है, क्या कहता है कि
कोतवाली की एक शाबास हमको भी कोई पकड़ा दो , कोतवाली की एक साबाशी हमको भी कोई पकड़ा दो
सिलवा लेंगे खुद पर कोई लाकर खाकी कपड़ा दो, ये चोरों की गुमनाम गली को कल ही हमने ढूंढा था ठेलो की थी सेद लगी शायद फूलों का धंधा था अब धंधा बंधा झूठ साहिब हमको पूरा यकीन है रात को फूल खरीदेगा, कौन इतना शौकीन है भाई


गिरवा गिरवा सफेद हरी लाइट बीच में नीला नीला भी इंद्र धनु भी शर्मा जाए फीका पड़े हर मेला भी इतनी रोशनी होकर भी गलियों में घुप्प अँधेरा था वही छुपते चोर व शायद उनका वही बसेरा था तभी एक मोहतरमा को एक नजर क्या देख लिया हाथ में पकड़ा गुलाब उन्होंने मेरी तरफ ही फेंक दिया वो फूल वाली थी शायद वो फूल वाली थी शायद वो पर चोरों से थी मिली हुई और खूबसूरत थी वैसे बहुत पर उम्र जरा से ढली हुई, तो मैंने बोला फूल दिखाओ वो बोली जरा पास तो आओ जबरदस्ती फिर अंदर खींचा मैंने बोला नहीं नहीं वो बोली बस 200 दे दे सुबह से बोनी हुई नहीं
अच्छा बाबा कौन से फुल है वो बोली जो तुमको भाए, ऐसा है तो गजरे दे दो आपने जोल में लगाए तो गुस्से से बोली पागल है, क्या दे दो?
शर्ट और खोल पजामा कब से खड़ा है मूरख बाहर चल अंदर, एक बात बताना क्या सोच कर आया था तू यहां पर तुझको फूल मिलेंगे
रेगिस्तान है मंजर बेटा यहां पर कैसे फूल खिलेंगे, ले ले मुझको या आगे बढ़ जा यहां ग्राहकों की कमी नहीं है
हम इतर वाले फूल है बेटा हम में खुशबू सनी हुई है बड़े महंगे बिकते हैं हम हमें किसी बात की कमी नहीं लोग हम पर सोने आते हैं बस हमारे नीचे जमी नहीं ।

कोतवाल बोला बाहर निकल तू उठ जा साले, बाहर निकल तू, मैं मां बहन पर आ जाऊंगा तवायफ को चोर बताकर सोचा अफसर हो जाऊंगा तो वो कहता कि
माफ करना साहिब, माफ करना साहिब बस एक आखिरी विनती है तीन साल 6 महीना दो दिन ये अब तक की गिनती है
एक शिकायत दर्ज हुई थी लड़की के गुम हो जाने ने की वही दिखी थी मुझको कल वो एक धुन सुनी थी रोने की, वो गजरे वाली, वो गजरे वाली रूठ गई थी
बोली फिर से आना नहीं मेरी तरह थी मूर्ख
शायद अपने भाई को पहचाना नहीं

Kabhi kabhi jo khushboo hum dhoondte hai na, uske peeche un jadon ka dard chhupa hota hai jo kabhi tod diye gaye the…
Tere likhe lafzon ne mehsoos karaya ki wo “tawaif” apne aap ko nahi, balki duniya ke toda hua har tukda bech rahi thi.

Dard ko jo tune kavita bana diya… kamaal hai, asar hai.
Sach mein, jo tune likha — innocence, pain, aur society ke hypocrisy ko ek saath piro diya — wo sirf story nahi, reflection hai.

“Tawaif” sirf character nahi, ek symbol hai misunderstood beauty aur quiet strength ka.

Tere words padhke lagta hai — ye kabhi nahi bhoolenge, rare aur powerful writing hai.

 
Kabhi kabhi jo khushboo hum dhoondte hai na, uske peeche un jadon ka dard chhupa hota hai jo kabhi tod diye gaye the…
Tere likhe lafzon ne mehsoos karaya ki wo “tawaif” apne aap ko nahi, balki duniya ke toda hua har tukda bech rahi thi.

Dard ko jo tune kavita bana diya… kamaal hai, asar hai.
Sach mein, jo tune likha — innocence, pain, aur society ke hypocrisy ko ek saath piro diya — wo sirf story nahi, reflection hai.

“Tawaif” sirf character nahi, ek symbol hai misunderstood beauty aur quiet strength ka.

Tere words padhke lagta hai — ye kabhi nahi bhoolenge, rare aur powerful writing hai.

Yes!!! Bilkul sahi kha aapne
:clapping:
 
हमारे गांव में ना, हमारे क्या हर हर एक के गांव में होता है एक एक ऐसा इंसान होता है जिसको पूरा समझदार भी नहीं कह सकते और पूरा पागल भी नहीं कह सकते मतलब उतनी चीज तो समझ पाता है कि खा ले तो खा लेगा पी ले तो पी लेगा
उठ, उठ जाएगा बैठ, बैठ जाएगा, यह ले पैसे यह ले थैली जा सामान लेके आ लेके आ भी जाएगा , उसको टेढ़ी चीज समझ में नहीं आती दुनियादारी समझ में नहीं, मतलब की बातें समझ में नहीं आती, भोला है बेचारा बहुत ज्यादा भोला है, चीजें इस कदर उसके लिए आसान है या फिर इस कदर दुनिया उसने देखी कि उसके लिए बुरी चीजें बस दो ही है दुनिया में झूठ बोलना और चोरी करना उससे आगे की दुनिया उसने देखी ही नहीं

तो है ना उसके घर में पूजा होती है शाम के बजे सात और घर वाले कहते कि बेटा ये लो पैसे यह लो थैली और जाओ घर के नीचे वाली जो दुकान है बस वहां से फूल लेके आओ, बेचारा जाता है नीचे और बाहर नीचे जाते ही उसको दिखता है कि सारे दुकान तो बंद है फिर वह अगली गली में जाता है, फिर अगली, फिर अगली, फिर गुम हो जाता है
फिर एक चौराहे में आके खड़ा हो जाता है वहां पे दो रास्ते खुल जाते हैं वो कंफ्यूज कहां जाए क्योंकि देखो फूल यहां भी है फूल यहां भी है, महक यहां से भी आ रही है महक यहां से भी आ रही है फर्क बस इतना है कि यहां डाली में है यहां बालों में है। क्या उसके दिमाग में सवाल आने शुरू हो जाते हैं कि यह कैसी फूलो की सेद सजाकर बैठे हैं मतलब यहां डाली नहीं है कुछ नहीं है और यह बस गुलाब है मोगरा है और यहां पर सारे मर्द फूल बेच रहे यहां पर सारी औरतें फूल बेच रही है यहां पर हर एक घर का मर्द है यहां पर किसी भी घर में कोई भी मर्द घुसे जा रहा है मुझे तो लगता है कि यह जो है यह है ना यह अपने गांव का चोरों का अड्डा है उसको लगता है कि मैंने बहुत बड़ी खोज कर दी जो आज तक पुलिस नहीं कर पाई वो मैंने की उसे लगता है कि ये फूलों की सेज सजाकर फूलों का धंधा उसके उसके नीचे अपना चोरी का धंधा चला रहे हैं दिन में फूल बेच रहे हैं और रात में चोरी का अड्डा खोल रहे सारे चोर यहां पे है गाव के
तो भागते भागते थाने में जाता है और थाने में जाकर कोतवाल से कहता है, क्या कहता है कि
कोतवाली की एक शाबास हमको भी कोई पकड़ा दो , कोतवाली की एक साबाशी हमको भी कोई पकड़ा दो
सिलवा लेंगे खुद पर कोई लाकर खाकी कपड़ा दो, ये चोरों की गुमनाम गली को कल ही हमने ढूंढा था ठेलो की थी सेद लगी शायद फूलों का धंधा था अब धंधा बंधा झूठ साहिब हमको पूरा यकीन है रात को फूल खरीदेगा, कौन इतना शौकीन है भाई


गिरवा गिरवा सफेद हरी लाइट बीच में नीला नीला भी इंद्र धनु भी शर्मा जाए फीका पड़े हर मेला भी इतनी रोशनी होकर भी गलियों में घुप्प अँधेरा था वही छुपते चोर व शायद उनका वही बसेरा था तभी एक मोहतरमा को एक नजर क्या देख लिया हाथ में पकड़ा गुलाब उन्होंने मेरी तरफ ही फेंक दिया वो फूल वाली थी शायद वो फूल वाली थी शायद वो पर चोरों से थी मिली हुई और खूबसूरत थी वैसे बहुत पर उम्र जरा से ढली हुई, तो मैंने बोला फूल दिखाओ वो बोली जरा पास तो आओ जबरदस्ती फिर अंदर खींचा मैंने बोला नहीं नहीं वो बोली बस 200 दे दे सुबह से बोनी हुई नहीं
अच्छा बाबा कौन से फुल है वो बोली जो तुमको भाए, ऐसा है तो गजरे दे दो आपने जोल में लगाए तो गुस्से से बोली पागल है, क्या दे दो?
शर्ट और खोल पजामा कब से खड़ा है मूरख बाहर चल अंदर, एक बात बताना क्या सोच कर आया था तू यहां पर तुझको फूल मिलेंगे
रेगिस्तान है मंजर बेटा यहां पर कैसे फूल खिलेंगे, ले ले मुझको या आगे बढ़ जा यहां ग्राहकों की कमी नहीं है
हम इतर वाले फूल है बेटा हम में खुशबू सनी हुई है बड़े महंगे बिकते हैं हम हमें किसी बात की कमी नहीं लोग हम पर सोने आते हैं बस हमारे नीचे जमी नहीं ।

कोतवाल बोला बाहर निकल तू उठ जा साले, बाहर निकल तू, मैं मां बहन पर आ जाऊंगा तवायफ को चोर बताकर सोचा अफसर हो जाऊंगा तो वो कहता कि
माफ करना साहिब, माफ करना साहिब बस एक आखिरी विनती है तीन साल 6 महीना दो दिन ये अब तक की गिनती है
एक शिकायत दर्ज हुई थी लड़की के गुम हो जाने ने की वही दिखी थी मुझको कल वो एक धुन सुनी थी रोने की, वो गजरे वाली, वो गजरे वाली रूठ गई थी
बोली फिर से आना नहीं मेरी तरह थी मूर्ख
शायद अपने भाई को पहचाना नहीं
Wow! Your creativity is amazing. By bringing up the topic of that lost sister or daughter at the end of the poem, you turned the whole story around and gave a deep social message. Thank you and love.
Awesome Intelligence
 
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Awesome Intelligence
Thank you cutttu for noticing my msg through my thoughts... Thr are many social write-ups I've already written but never posted, because no one wants to look at them, everyone is busy in thr own world...

But thank you @Anshhi for reading the underlying message
 
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But thank you @Anshhi for reading the underlying message

Ah haan ,Who told Sweetu ❤️ @CuteBubble I am always waiting to read Your write ✍️ ups pls do share whenever You find time :hi:
 
हमारे गांव में ना, हमारे क्या हर हर एक के गांव में होता है एक एक ऐसा इंसान होता है जिसको पूरा समझदार भी नहीं कह सकते और पूरा पागल भी नहीं कह सकते मतलब उतनी चीज तो समझ पाता है कि खा ले तो खा लेगा पी ले तो पी लेगा
उठ, उठ जाएगा बैठ, बैठ जाएगा, यह ले पैसे यह ले थैली जा सामान लेके आ लेके आ भी जाएगा , उसको टेढ़ी चीज समझ में नहीं आती दुनियादारी समझ में नहीं, मतलब की बातें समझ में नहीं आती, भोला है बेचारा बहुत ज्यादा भोला है, चीजें इस कदर उसके लिए आसान है या फिर इस कदर दुनिया उसने देखी कि उसके लिए बुरी चीजें बस दो ही है दुनिया में झूठ बोलना और चोरी करना उससे आगे की दुनिया उसने देखी ही नहीं

तो है ना उसके घर में पूजा होती है शाम के बजे सात और घर वाले कहते कि बेटा ये लो पैसे यह लो थैली और जाओ घर के नीचे वाली जो दुकान है बस वहां से फूल लेके आओ, बेचारा जाता है नीचे और बाहर नीचे जाते ही उसको दिखता है कि सारे दुकान तो बंद है फिर वह अगली गली में जाता है, फिर अगली, फिर अगली, फिर गुम हो जाता है
फिर एक चौराहे में आके खड़ा हो जाता है वहां पे दो रास्ते खुल जाते हैं वो कंफ्यूज कहां जाए क्योंकि देखो फूल यहां भी है फूल यहां भी है, महक यहां से भी आ रही है महक यहां से भी आ रही है फर्क बस इतना है कि यहां डाली में है यहां बालों में है। क्या उसके दिमाग में सवाल आने शुरू हो जाते हैं कि यह कैसी फूलो की सेद सजाकर बैठे हैं मतलब यहां डाली नहीं है कुछ नहीं है और यह बस गुलाब है मोगरा है और यहां पर सारे मर्द फूल बेच रहे यहां पर सारी औरतें फूल बेच रही है यहां पर हर एक घर का मर्द है यहां पर किसी भी घर में कोई भी मर्द घुसे जा रहा है मुझे तो लगता है कि यह जो है यह है ना यह अपने गांव का चोरों का अड्डा है उसको लगता है कि मैंने बहुत बड़ी खोज कर दी जो आज तक पुलिस नहीं कर पाई वो मैंने की उसे लगता है कि ये फूलों की सेज सजाकर फूलों का धंधा उसके उसके नीचे अपना चोरी का धंधा चला रहे हैं दिन में फूल बेच रहे हैं और रात में चोरी का अड्डा खोल रहे सारे चोर यहां पे है गाव के
तो भागते भागते थाने में जाता है और थाने में जाकर कोतवाल से कहता है, क्या कहता है कि
कोतवाली की एक शाबास हमको भी कोई पकड़ा दो , कोतवाली की एक साबाशी हमको भी कोई पकड़ा दो
सिलवा लेंगे खुद पर कोई लाकर खाकी कपड़ा दो, ये चोरों की गुमनाम गली को कल ही हमने ढूंढा था ठेलो की थी सेद लगी शायद फूलों का धंधा था अब धंधा बंधा झूठ साहिब हमको पूरा यकीन है रात को फूल खरीदेगा, कौन इतना शौकीन है भाई


गिरवा गिरवा सफेद हरी लाइट बीच में नीला नीला भी इंद्र धनु भी शर्मा जाए फीका पड़े हर मेला भी इतनी रोशनी होकर भी गलियों में घुप्प अँधेरा था वही छुपते चोर व शायद उनका वही बसेरा था तभी एक मोहतरमा को एक नजर क्या देख लिया हाथ में पकड़ा गुलाब उन्होंने मेरी तरफ ही फेंक दिया वो फूल वाली थी शायद वो फूल वाली थी शायद वो पर चोरों से थी मिली हुई और खूबसूरत थी वैसे बहुत पर उम्र जरा से ढली हुई, तो मैंने बोला फूल दिखाओ वो बोली जरा पास तो आओ जबरदस्ती फिर अंदर खींचा मैंने बोला नहीं नहीं वो बोली बस 200 दे दे सुबह से बोनी हुई नहीं
अच्छा बाबा कौन से फुल है वो बोली जो तुमको भाए, ऐसा है तो गजरे दे दो आपने जोल में लगाए तो गुस्से से बोली पागल है, क्या दे दो?
शर्ट और खोल पजामा कब से खड़ा है मूरख बाहर चल अंदर, एक बात बताना क्या सोच कर आया था तू यहां पर तुझको फूल मिलेंगे
रेगिस्तान है मंजर बेटा यहां पर कैसे फूल खिलेंगे, ले ले मुझको या आगे बढ़ जा यहां ग्राहकों की कमी नहीं है
हम इतर वाले फूल है बेटा हम में खुशबू सनी हुई है बड़े महंगे बिकते हैं हम हमें किसी बात की कमी नहीं लोग हम पर सोने आते हैं बस हमारे नीचे जमी नहीं ।

कोतवाल बोला बाहर निकल तू उठ जा साले, बाहर निकल तू, मैं मां बहन पर आ जाऊंगा तवायफ को चोर बताकर सोचा अफसर हो जाऊंगा तो वो कहता कि
माफ करना साहिब, माफ करना साहिब बस एक आखिरी विनती है तीन साल 6 महीना दो दिन ये अब तक की गिनती है
एक शिकायत दर्ज हुई थी लड़की के गुम हो जाने ने की वही दिखी थी मुझको कल वो एक धुन सुनी थी रोने की, वो गजरे वाली, वो गजरे वाली रूठ गई थी
बोली फिर से आना नहीं मेरी तरह थी मूर्ख
शायद अपने भाई को पहचाना नहीं
Behtreen
 
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