कि जब हम लेटे हो बिस्तर पर और घूर रहे हों ऊपर झूल रहे पंखे को। तुमने लगा रखा हो मेरी बाहों का तकिया। पंखे की स्पीड की तरह की सारी पुरानी यादें महज कुछ सेकंड में ही गुजर जाएं हमारे जेहन से। हम सोच रहे हों अपने-अपने इश्क़ के बारे में और फिर एक करवट लेकर एक दूसरे की आंखों में आंखे डालते ही लब खुदबखुद मुस्कुरा उठे और फिर हम दोनों एक साथ सोचें की ''नही मुझे तुमसे प्यार नही करना'' 
