लोगो से रिश्ते निभाकर देख लिया_अपना 100% देकर देख लिया_उनके लिए हमेशा available रहकर भी देख लिया_ उनके हिसाब से चलकर भी देख लिया_ यहां तक कि उनकी हर बात मानकर हर वक्त साथ देकर भी देख लिया_अपनी फिक्र किए बिना उनकी फिक्र करके भी देख लिया_ उनसे ज्यादा उनका होकर भी देख लिया_अपना सबकुछ न्योछावर करके भी देख लिया, फिर भी लोग हमसे खफा ही रहे मुझे किसी ने समझा नहीं_ ना ही किसी ने साथ दिया, मैने जब भी चाहा कोई आए मेरे पास बैठे मुझे सुने समझें सहारा दे_ उस वक्त खुद को मैने हमेशा अकेला ही पाया..खैर____