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For those who have read this earlier or heard it, I guess it works for all walks of life - family, friends and colleagues
चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो
हमारा प्यार रुस्वा-ए-ज़माना हो नहीं सकता
न इतने बा-वफ़ा हम हैं न इतने बा-वफ़ा तुम हो
चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो
हमारा प्यार रुस्वा-ए-ज़माना हो नहीं सकता
न इतने बा-वफ़ा हम हैं न इतने बा-वफ़ा तुम हो