जब मैं लिखूंगी कुछ तुम्हारे लिए
और तुम वो सब एकटक पढ़ते जाओगे
मैं देखूंगी तुमको नैना भरके
तुम जब अपने नैना मेरे शब्दों में डुबाओगे।
तुम पढ़ लेना मेरे मन का
अतीत भी और वर्तमान भी
फिर हो लेना चाहे नाराज़ सही
या फिर थोड़े से हैरान भी।
मैं तुमको
तुमसा ही स्वीकार करूंगी
सच कहती हूँ।
जब तुम पढ़ कर मन मेरा
मेरे समीप आओगे
मैं नैनों से अपने ढल दूंगी वो आंसू
जिनको तुम नैनों में ले अपने
इस प्रीत का दीप जलाओगे।
साभार: अंजान

और तुम वो सब एकटक पढ़ते जाओगे
मैं देखूंगी तुमको नैना भरके
तुम जब अपने नैना मेरे शब्दों में डुबाओगे।
तुम पढ़ लेना मेरे मन का
अतीत भी और वर्तमान भी
फिर हो लेना चाहे नाराज़ सही
या फिर थोड़े से हैरान भी।
मैं तुमको
तुमसा ही स्वीकार करूंगी
सच कहती हूँ।
जब तुम पढ़ कर मन मेरा
मेरे समीप आओगे
मैं नैनों से अपने ढल दूंगी वो आंसू
जिनको तुम नैनों में ले अपने
इस प्रीत का दीप जलाओगे।
साभार: अंजान

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