सन्नाटे की आवाज़।
ज़ख्मों के सुरों पे दर्द की साज़ आ गई।
मुझे किसी सन्नाटे की आवाज़ आ गई
हाल-ए-खैरियत की खबर ली नही कभी,
करने अपने ज़ख्मों पे नाज़ आ गई।
सामने हैं जो बातें बताती नही दुनिया,
कान लगाकर सुनने मेरे राज़ आ गई।
खत्म सा भी लगे पर खतम होने न दिया,
करने ऐलान ये शब-ए-आगाज़ आ गई।
चीखती रही खुशियां मेरे दरवाजे पर,
मुझे किसी सन्नाटे की आवाज़ आ गई।
ज़ख्मों के सुरों पे दर्द की साज़ आ गई।
मुझे किसी सन्नाटे की आवाज़ आ गई
हाल-ए-खैरियत की खबर ली नही कभी,
करने अपने ज़ख्मों पे नाज़ आ गई।
सामने हैं जो बातें बताती नही दुनिया,
कान लगाकर सुनने मेरे राज़ आ गई।
खत्म सा भी लगे पर खतम होने न दिया,
करने ऐलान ये शब-ए-आगाज़ आ गई।
चीखती रही खुशियां मेरे दरवाजे पर,
मुझे किसी सन्नाटे की आवाज़ आ गई।