एक तुम दूजी ये चायइस चाए में मरमसला सब साथ ही हे
छुके देखाे बस अब तेरा एहसास बाकी हैं
.......................................शुभ प्रभात
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इस चाए में बस उसका एहसास ही भरदोएक तुम दूजी ये चाय
दोनों साथ हो तो
ये सुबह भी शुभ हो जाए।![]()
एहसास साथ हो तो एहसान की क्या बात हैइस चाए में बस उसका एहसास ही भरदो
आप बस इतनि सी हमें एहसान करदो![]()
ये सुन के चाए महक उठा है या मैंएहसास साथ हो तो एहसान की क्या बात है
इन्तेजार तो बस उस हसीन मुलाकात का है।
ये सुन के चाए महक उठा है या मैं![]()
ये शुभ शुभ आप को कैसा नशा चढा हैंमहक उठा है ये मौसम उस चाय की खुश्बू में
महक उठेंगे दोनों मिल के एक दुजे की आलिंगन में।
ये पैर बढ चला है उस प्यार की ओरये शुभ शुभ आप को कैसा नशा चढा हैं
लड़खडा रहे हो पैर किस तरफ आगे चला है
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