कट रहा था सफर मेरा धूप मै चलते चलते,
वो रहो मै मेरी भीगे बादल बनके आ गये ।।
भूल चुका था मै शायद इश्क के अहसासो को,
वो दहलीज पर मेरी बीता कल बनके आ गये ।।
टूटे छत से बरस रही थी वूँदे तन्हायी की ,
वो सर्द रातो मै मेरी महल बनके आ गये ।।
मै भटक रहा था प्यासा रेगिस्तान मै अकेला,
वो हाथो मै मेरे मीठा जल बनके आ गये ।।
कई सबाल उठ खडे थे उनके जाने के बाद,
वो उन सारे सबालो का हल बनके आ गये ।।
एक तस्बीर मैने बनायी थी अपने हमसफर की,
वो हूँवहू उस तस्बीर की नकल बनके आ गये ।
वो रहो मै मेरी भीगे बादल बनके आ गये ।।
भूल चुका था मै शायद इश्क के अहसासो को,
वो दहलीज पर मेरी बीता कल बनके आ गये ।।
टूटे छत से बरस रही थी वूँदे तन्हायी की ,
वो सर्द रातो मै मेरी महल बनके आ गये ।।
मै भटक रहा था प्यासा रेगिस्तान मै अकेला,
वो हाथो मै मेरे मीठा जल बनके आ गये ।।
कई सबाल उठ खडे थे उनके जाने के बाद,
वो उन सारे सबालो का हल बनके आ गये ।।
एक तस्बीर मैने बनायी थी अपने हमसफर की,
वो हूँवहू उस तस्बीर की नकल बनके आ गये ।