कौन कहता है, बस वक्त बदलता है।
मैंने करीब से लोगों को बदलते देखा है।।
वादे कर जन्मों तक साथ रहने के,
दो कदम पर साथ छोड़ते देखा है।।
साझा कर सफर ये मौत-ओ-जिंदगी का,
बीच मझधार में हमसफर को डूबते देखा है।।
यूं ही कहते हैं जां मुर्दों में नहीं होती,
मैंने चलते-फिरते लोगों को ख़ाक होते देखा है।।
कौन कहता है, बस वक्त बदलता है।
मैंने करीब से लोगों को बदलते देखा है।।
उजड़ जाते हैं अरमां सारे,
वजूद जिनका किसी की नियत पर टिका होता है।।
फिसल जाते हैं लोग सासों की तरहा,
जज्बातों का क्या हिसाब लिखा होता है।।
जब नहीं है मुकम्मल सफर तलक हर जिंदगी का,
तो समर्पण बंधनों में सदा कहां किसी का होता है।।
कौन कहता है, बस वक्त बदलता है।
मैंने करीब से लोगों को बदलते देखा है।।


मैंने करीब से लोगों को बदलते देखा है।।
वादे कर जन्मों तक साथ रहने के,
दो कदम पर साथ छोड़ते देखा है।।
साझा कर सफर ये मौत-ओ-जिंदगी का,
बीच मझधार में हमसफर को डूबते देखा है।।
यूं ही कहते हैं जां मुर्दों में नहीं होती,
मैंने चलते-फिरते लोगों को ख़ाक होते देखा है।।
कौन कहता है, बस वक्त बदलता है।
मैंने करीब से लोगों को बदलते देखा है।।
उजड़ जाते हैं अरमां सारे,
वजूद जिनका किसी की नियत पर टिका होता है।।
फिसल जाते हैं लोग सासों की तरहा,
जज्बातों का क्या हिसाब लिखा होता है।।
जब नहीं है मुकम्मल सफर तलक हर जिंदगी का,
तो समर्पण बंधनों में सदा कहां किसी का होता है।।
कौन कहता है, बस वक्त बदलता है।
मैंने करीब से लोगों को बदलते देखा है।।


