• We kindly request chatzozo forum members to follow forum rules to avoid getting a temporary suspension. Do not use non-English languages in the International Sex Chat Discussion section. This section is mainly created for everyone who uses English as their communication language.

प्रेम

Rockzz✨❤️श्वेतराग❤️

खराब किस्मत का बादशाह (King of bad luck)
Senior's
Chat Pro User
प्रेम से बढ़कर ना कोई शास्त्र था,
ना है, ना रहेगा...

बस हम लोगों ने पढा ही गलत तरीके से है,
समझा भी गलत नियत से है...
और देखा भी ग़लत भावना से है...
इसलिए आज प्रेम को इतनी गलत नज़र से
देखा जाता है...

मेरे लिए भगवान के बाद इस दुनिया में
कोई पवित्र चीज़ है
तो वो हो तुम, वो है प्रेम...

मुझे कण_कण से तुम्हारी की खुश्बु आती है...
जिधर देखूं उधर जर्रे_जर्रे में प्रेम नजर आता है...

जब भी धड़कनें स्पंदन करती है
तुम कस्तुरी बन मन को महकाती हो...
ना कोई छल, ना कोई प्रपंच, ना कोई स्वार्थ
नि:स्वार्थ प्रेम करके देखो

रोम_रोम में निखार आता है...!!!
FB_IMG_1737211684734.jpg
 
Last edited:
प्रेम से बढ़कर ना कोई शास्त्र था,
ना है, ना रहेगा...

बस हम लोगों ने पढा ही गलत तरीके से है,
समझा भी गलत नियत से है...
और देखा भी ग़लत भावना से है...
इसलिए आज प्रेम को इतनी गलत नज़र से
देखा जाता है...

मेरे लिए भगवान के बाद इस दुनिया में
कोई पवित्र चीज़ है
तो वो हो तुम, वो है प्रेम...

मुझे कण_कण से तुम्हारी की खुश्बु आती है...
जिधर देखूं उधर जर्रे_जर्रे में प्रेम नजर आता है...

जब भी धड़कनें स्पंदन करती है
तुम कस्तुरी बन मन को महकाती हो...
ना कोई छल, ना कोई प्रपंच, ना कोई स्वार्थ
नि:स्वार्थ प्रेम करके देखो

रोम_रोम में निखार आता है...!!!
View attachment 293433
वाह, Rockzz! तुम्हारे शब्दों में इतनी गहराई और पवित्रता है कि हर पंक्ति दिल में उतर जाती है। तुम्हारा लिखा हुआ प्रेम का यह दृष्टिकोण न केवल अनोखा है, बल्कि आत्मा को छूने वाला भी है।

"प्रेम से बढ़कर ना कोई शास्त्र था,
ना है, ना रहेगा..."
ये पंक्तियां प्रेम की अनंतता और उसकी दिव्यता को कितनी सटीकता से बयान करती हैं। तुमने प्रेम को केवल भावना तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे एक शास्त्र, एक मार्ग, और एक दर्शन बना दिया।

तुम्हारा यह कहना कि "हमने प्रेम को गलत नजर से देखा है," सच में समाज की सोच को चुनौती देता है। प्रेम, जो अपनी मूल भावना में निःस्वार्थ और शुद्ध है, उसे तुमने इतना सहज और साफ ढंग से व्यक्त किया है कि यह पाठक को खुद के भीतर झांकने पर मजबूर कर देता है।

"तुम कस्तूरी बन मन को महकाती हो…"
यह पंक्ति तो मानो कवि हृदय से निकली एक सजीव तस्वीर है। प्रेम को तुमने केवल एक भावना नहीं, बल्कि हर कण-कण में व्याप्त एक अस्तित्व बना दिया है।

तुम्हारी यह रचना पढ़ते हुए ऐसा लगा जैसे प्रेम को उसकी असली पहचान मिल गई हो। बस ऐसे ही लिखती रहो, क्योंकि तुम्हारे शब्द प्रेम और पवित्रता की खुशबू से सराबोर हैं।
 
प्रेम से बढ़कर ना कोई शास्त्र था,
ना है, ना रहेगा...

बस हम लोगों ने पढा ही गलत तरीके से है,
समझा भी गलत नियत से है...
और देखा भी ग़लत भावना से है...
इसलिए आज प्रेम को इतनी गलत नज़र से
देखा जाता है...

मेरे लिए भगवान के बाद इस दुनिया में
कोई पवित्र चीज़ है
तो वो हो तुम, वो है प्रेम...

मुझे कण_कण से तुम्हारी की खुश्बु आती है...
जिधर देखूं उधर जर्रे_जर्रे में प्रेम नजर आता है...

जब भी धड़कनें स्पंदन करती है
तुम कस्तुरी बन मन को महकाती हो...
ना कोई छल, ना कोई प्रपंच, ना कोई स्वार्थ
नि:स्वार्थ प्रेम करके देखो

रोम_रोम में निखार आता है...!!!
View attachment 293433
प्रेम वही जो आत्मा को छू जाए,
जिसमें न कोई शर्त, न छल समा पाए।
जहां हर धड़कन में बस महक हो तेरी,
वही प्रेम पवित्र, वही प्रेम सच्चा है मेरी।
 
वाह, Rockzz! तुम्हारे शब्दों में इतनी गहराई और पवित्रता है कि हर पंक्ति दिल में उतर जाती है। तुम्हारा लिखा हुआ प्रेम का यह दृष्टिकोण न केवल अनोखा है, बल्कि आत्मा को छूने वाला भी है।

"प्रेम से बढ़कर ना कोई शास्त्र था,
ना है, ना रहेगा..."
ये पंक्तियां प्रेम की अनंतता और उसकी दिव्यता को कितनी सटीकता से बयान करती हैं। तुमने प्रेम को केवल भावना तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे एक शास्त्र, एक मार्ग, और एक दर्शन बना दिया।

तुम्हारा यह कहना कि "हमने प्रेम को गलत नजर से देखा है," सच में समाज की सोच को चुनौती देता है। प्रेम, जो अपनी मूल भावना में निःस्वार्थ और शुद्ध है, उसे तुमने इतना सहज और साफ ढंग से व्यक्त किया है कि यह पाठक को खुद के भीतर झांकने पर मजबूर कर देता है।

"तुम कस्तूरी बन मन को महकाती हो…"
यह पंक्ति तो मानो कवि हृदय से निकली एक सजीव तस्वीर है। प्रेम को तुमने केवल एक भावना नहीं, बल्कि हर कण-कण में व्याप्त एक अस्तित्व बना दिया है।

तुम्हारी यह रचना पढ़ते हुए ऐसा लगा जैसे प्रेम को उसकी असली पहचान मिल गई हो। बस ऐसे ही लिखती रहो, क्योंकि तुम्हारे शब्द प्रेम और पवित्रता की खुशबू से सराबोर हैं।
धन्यवाद @Lion_Hearted ....
कविता को जिस भाव से लिखा है उसकी इतनी अच्छी व्याख्या अपनेआप में अद्भुत है।

वैसे प्रेम है ही ऐसा भाव जो खुद को अन्दर तक पहचान करा दे तो किसी को किसी से नि:स्वार्थ मिला दे।

(देर से की गई प्रतिक्रिया के लिए अत्यंत खेद है।)
 
धन्यवाद @Lion_Hearted ....
कविता को जिस भाव से लिखा है उसकी इतनी अच्छी व्याख्या अपनेआप में अद्भुत है।

वैसे प्रेम है ही ऐसा भाव जो खुद को अन्दर तक पहचान करा दे तो किसी को किसी से नि:स्वार्थ मिला दे।

(देर से की गई प्रतिक्रिया के लिए अत्यंत खेद है।)
धन्यवाद
 
प्रेम से बढ़कर ना कोई शास्त्र था,
ना है, ना रहेगा...

बस हम लोगों ने पढा ही गलत तरीके से है,
समझा भी गलत नियत से है...
और देखा भी ग़लत भावना से है...
इसलिए आज प्रेम को इतनी गलत नज़र से
देखा जाता है...

मेरे लिए भगवान के बाद इस दुनिया में
कोई पवित्र चीज़ है
तो वो हो तुम, वो है प्रेम...

मुझे कण_कण से तुम्हारी की खुश्बु आती है...
जिधर देखूं उधर जर्रे_जर्रे में प्रेम नजर आता है...

जब भी धड़कनें स्पंदन करती है
तुम कस्तुरी बन मन को महकाती हो...
ना कोई छल, ना कोई प्रपंच, ना कोई स्वार्थ
नि:स्वार्थ प्रेम करके देखो

रोम_रोम में निखार आता है...!!!
View attachment 293433
Aaj ke time me to bs swarth bacha hai prem to dishonour ki tarah vilupt ho chuka hai :Cwl:
 
प्रेम से बढ़कर ना कोई शास्त्र था,
ना है, ना रहेगा...

बस हम लोगों ने पढा ही गलत तरीके से है,
समझा भी गलत नियत से है...
और देखा भी ग़लत भावना से है...
इसलिए आज प्रेम को इतनी गलत नज़र से
देखा जाता है...

मेरे लिए भगवान के बाद इस दुनिया में
कोई पवित्र चीज़ है
तो वो हो तुम, वो है प्रेम...

मुझे कण_कण से तुम्हारी की खुश्बु आती है...
जिधर देखूं उधर जर्रे_जर्रे में प्रेम नजर आता है...

जब भी धड़कनें स्पंदन करती है
तुम कस्तुरी बन मन को महकाती हो...
ना कोई छल, ना कोई प्रपंच, ना कोई स्वार्थ
नि:स्वार्थ प्रेम करके देखो

रोम_रोम में निखार आता है...!!!
View attachment 293433
प्रेम किताबों में नहीं,
मन की गहराइयों में रहता है।
जो इसे सच्चे भाव से जिए,
वो ही प्रेम को समझता है।
 
Bechaini me rooh hai meri, araam hai mohabbat..
Aise galat maine hai kuch na kiya, ilzaam hai mohabbat...
Aur samjhti mai sabkuch hu, meri nadaan hai mohabbat...

Jis naam ki barbadi me maza hai, woh naam hai mohabbat❤️
 
Top