PixiBloom
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कैसा यह पल है, देखो, कैसा यह नज़ारा,
गहरा बैंगनी आकाश, बन गया किनारा।
रंगों की चादर ओढ़े, सुबह की यह बेला,
रात की कहानी पूरी, दिन का नया मेला।
सड़क किनारे बत्तियाँ, बुझने को हैं तैयार,
जैसे अतीत की बातें, होती हैं बेकार।
रोशनी की राह पर, अब सूर्य का है आना,
हर अँधेरे को जिसने, पल भर में जाना।
मैदान की मिट्टी पर, ठंडी हवा का फेरा,
कोई कर रहा कसरत, कोई हटा रहा डेरा।
यह दृश्य कहता है, 'न रुकना, न थकना',
हर नया सवेरा है, बस आगे बढ़ना।'
जीवन का कैनवस भी, ऐसा ही है सुंदर,
हर रंग समय से आए, भर दे सबके अंदर।
कृत्रिम सहारे छोड़ो, अपनी पहचान बनाओ,
उठो और आगे बढ़ो, खुद को तुम जगाओ।
सूरज की लालिमा में, एक गहरा भाव है,
यही तो है जीवन, यही मन का ठाँव है।
यह कविता आपके मन को छू जाए, ,यही मेरी कामना।
नई ऊर्जा और प्रेरणा से, हो हर दिन रवाना।
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