उसने मुझे कहा था उस रोज़ कि मैं फिर कहीँ मिल
जाऊँगी...
लोग भी कह रहे थे कि दुनियाँ गोल है कहीँ किसी मोड़ पे
टकरा ही जाओगे...
तब से अब तक मैँ सिर्फ़ पत्थरों से टकराया हूँ....
और शायद अब तमन्ना ही नहीं रही कि अब वो मुझे
मिलेगी कहीँ...
मानों जैसे दिन गुज़र जाता है और उसकी याद
ही नहीं आती और तो और सच ये भी है कि मैं उसे
भूला भी नही...!
जाऊँगी...
लोग भी कह रहे थे कि दुनियाँ गोल है कहीँ किसी मोड़ पे
टकरा ही जाओगे...
तब से अब तक मैँ सिर्फ़ पत्थरों से टकराया हूँ....
और शायद अब तमन्ना ही नहीं रही कि अब वो मुझे
मिलेगी कहीँ...
मानों जैसे दिन गुज़र जाता है और उसकी याद
ही नहीं आती और तो और सच ये भी है कि मैं उसे
भूला भी नही...!