इतना कुछ मिला है,
खुदा का लाख शुक्र करुँ,
अमल कुछ ख़ास नहीं मेरे,
मैं आखिरत की फ़िक्र करुँ,
मुझे लगता है उसे पसंद है मेरा टूटना,
मुसीबतें भेजता है ताकि मैं उसका ज़िक्र करुँ
खुदा का लाख शुक्र करुँ,
अमल कुछ ख़ास नहीं मेरे,
मैं आखिरत की फ़िक्र करुँ,
मुझे लगता है उसे पसंद है मेरा टूटना,
मुसीबतें भेजता है ताकि मैं उसका ज़िक्र करुँ