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उलझन मन की

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पिघलती रही चांदनी
कतरा-कतरा अधजगी आंखों में
कल रात भर….

नींद नहीं आई
बदलती रही करवटें , ग़ुम किसी की याद में
कल रात भर….

श्याम बादलों की ओट में
छुप गई थी चांदनी
गुमसुम रहा चांद
कल रात भर….

पलकों से उतर कर
तकिए पर अधलेटे
बैचेन रहे किसी के ख़्वाब
कल रात भर….

ख़ामोशी के आलम में
सुनता रहा दिल ये
अपनी ही धड़कनें
कल रात भर….
 
पिघलती रही चांदनी
कतरा-कतरा अधजगी आंखों में
कल रात भर….

नींद नहीं आई
बदलती रही करवटें , ग़ुम किसी की याद में
कल रात भर….

श्याम बादलों की ओट में
छुप गई थी चांदनी
गुमसुम रहा चांद
कल रात भर….

पलकों से उतर कर
तकिए पर अधलेटे
बैचेन रहे किसी के ख़्वाब
कल रात भर….

ख़ामोशी के आलम में
सुनता रहा दिल ये
अपनी ही धड़कनें
कल रात भर….
Kitna khoobsurat dard hai yeh...
Chandni bhi sharmayi, neend bhi rooth gayi...
Aur dil? Bas uski yaadon mein bheegta raha...

Kal raat bhar, har khamoshi kuch keh rahi thi,
aur har dhadkan usi ka naam le rahi thi...
Lagta hai, koi tha jo tha toh nahi...
Par har jagah tha — kal raat bhar
 
पिघलती रही चांदनी
कतरा-कतरा अधजगी आंखों में
कल रात भर….

नींद नहीं आई
बदलती रही करवटें , ग़ुम किसी की याद में
कल रात भर….

श्याम बादलों की ओट में
छुप गई थी चांदनी
गुमसुम रहा चांद
कल रात भर….

पलकों से उतर कर
तकिए पर अधलेटे
बैचेन रहे किसी के ख़्वाब
कल रात भर….

ख़ामोशी के आलम में
सुनता रहा दिल ये
अपनी ही धड़कनें
कल रात भर….
Awesome. Keep it up . Aaj rat bhi please mat sona. Hme aisi mast kavita mil jayegi ek nyi. :nerdy:

Apne Jeevan Ki Uljhan Ko
Kaise Mein Suljhavoon
Apnon Ne Jo Dard Diye Hai
Kaise Main Batlaoon
Film:Uljhan ... Sanjeevkumar, Sulakshna pandit
 
रोशनी आई की नहीं..
कल रात के बाद..

जिंदगी में वही ठहरे रहोगी..
उसी रात पर या उसी बात पर..

आगे बहुत उजाला है..
उलझी रहोगी क्या हमेशा..
जिंदगी के उस जज़्बात पर..

भूलना पड़ता है..
याद कहूं या जज्बात कहूं..

याद रख लेता हु..
तुम्हारी उस श्याम रात को..
तुम्हारी इस जज्बात को।
 
पिघलती रही चांदनी
कतरा-कतरा अधजगी आंखों में
कल रात भर….

नींद नहीं आई
बदलती रही करवटें , ग़ुम किसी की याद में
कल रात भर….

श्याम बादलों की ओट में
छुप गई थी चांदनी
गुमसुम रहा चांद
कल रात भर….

पलकों से उतर कर
तकिए पर अधलेटे
बैचेन रहे किसी के ख़्वाब
कल रात भर….

ख़ामोशी के आलम में
सुनता रहा दिल ये
अपनी ही धड़कनें
कल रात भर….
Chaand bhi aaj kal hamre Sanam sa ho gya hai__
Naa jaane kyu baadlon ke pichhe chupta rehta hai __

Hai ishq to khul kr bta de mujhe
Kyu mere saath yuhi Luka chhupi khelta hai__
 
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