चंदनों के वन लगाए,
फूल के उपवन लगाए,
चिल चिलाती धूप में भी,
जो सदा सावन ले आए।
सब महल जिनके जड़े हैं,हाशिये पर वे खड़े हैं।
सेतु संसद पथ मिनारें,
ताल औ नहरों की धारें,
स्वेद जिनके बह निरंतर,
स्वर्ग धरती पर उतारें,
देवता जिसने गढ़े हैं,हाशिये पर वे खड़े हैं।
बोझ जिनको फूल लगता,
शैल...