मन ही मन में लड्डू फूटे
नैनों से फुलझड़ियाँ छूटे...
होंठों पर तक़रार....
कभी आर, कभी पार लागा तीर-ए-नज़र
कभी आर, कभी पार लागा तीर-ए-नज़र....
नैनों से फुलझड़ियाँ छूटे...
होंठों पर तक़रार....
कभी आर, कभी पार लागा तीर-ए-नज़र
कभी आर, कभी पार लागा तीर-ए-नज़र....