मोह के बंधन टूट गए
पंछी पिंजरे से छूट गए
विदाई की बेला आई तो
अपने सारे रूठ गए
इसको देखा उसको देखा
देखी सारी दुनिया
वक्त पे कोई काम ना आया
सहमी मेरी अंखियां
कुछ ना बोले ना कुछ तोले
कोई भी उसका मुख ना देखे
लोग सारे जड़ हो गए
कदम कदम पर पत्थर देखे
कच्चा था पर सच्चा था
दिल जैसे एक बच्चा था
क्यों इतना समझदार हो गया
वैसे सब कुछ अच्छा था
सांस टूटी तो आस भी टूटी
मन की सारी बात भी जूठी
दिल को फिर लाख मनाया
हमने झूठी मुट्ठी ।

पंछी पिंजरे से छूट गए
विदाई की बेला आई तो
अपने सारे रूठ गए
इसको देखा उसको देखा
देखी सारी दुनिया
वक्त पे कोई काम ना आया
सहमी मेरी अंखियां
कुछ ना बोले ना कुछ तोले
कोई भी उसका मुख ना देखे
लोग सारे जड़ हो गए
कदम कदम पर पत्थर देखे
कच्चा था पर सच्चा था
दिल जैसे एक बच्चा था
क्यों इतना समझदार हो गया
वैसे सब कुछ अच्छा था
सांस टूटी तो आस भी टूटी
मन की सारी बात भी जूठी
दिल को फिर लाख मनाया
हमने झूठी मुट्ठी ।

Good evening
Good nightzz too