
देखो ये पर्वतमाला, कितनी शांत और गहरी,
ओढ़े हुए बर्फ की चादर, कितनी सफेद और सुनहरी।
जैसे मेरे इश्क़ का मौसम हो, ठहरा हुआ सा,
तेरे ख़्यालों में डूबा हुआ, सहमा हुआ सा।
आसमां का नीला रंग, इन चोटियों को छू रहा है,
मेरे दिल का सुकून भी बस तुझमें ही मिल रहा है।
ये गुज़रते हुए बादल, कोई पैगाम ला रहे हैं,
शायद हमारी मोहब्बत की दास्तान गा रहे हैं।
धूप जब पड़ती है इन पत्थरों पर, चमक उठते हैं,
वैसे ही तेरे साथ से मेरे अरमान महक उठते हैं।
ठंडी हवाएं चलें, पर दिल में आग सी है,
ये दूरियों का एहसास भी एक लाजवाब राग सी है।
इन बर्फीली राहों पर चलना आसान नहीं,
पर तेरे नाम से जुड़ी है मेरी हर पहचान कहीं।
ये खामोशी कहती है, 'बस तुम हो मेरे पास',
इस कुदरत में समाया है हमारा अटूट विश्वास।





