माया कलम, सत्य लेखक,
अदृश्य हाथ में प्रवाहित अनंत रेखा।
जहाँ शब्द नहीं पहुँचते, वहाँ भी कथा चलती है,
जहाँ स्वर नहीं बजते, वहाँ भी संगीत गूँजता है।
हर दुख, हर सुख, हर क्षण का रंग,
लेखक की स्मृति में उभरता,
प्रकट करता अनजाने खेल।
माया बहती, रूपों में खिलती,
सत्य स्थिर, चेतना में निखरती।
जग, जीवन, मन और विचार,
सिर्फ लेखक की कल्पना के रंग हैं।
हाथ नहीं हिलता,
फिर भी सारा संसार लिखा जाता है।
शून्य में उठते शब्द,
रहस्य में बहते भाव,
हर पृष्ठ में सत्य का संगीत,
हर रेखा में चेतना का प्रकाश।
जब कलम थमती है,
तो लेखक मुस्कुराता है,
क्योंकि जो लिखा गया, वह कभी अलग नहीं था।
माया और सत्य का मेल,
सृष्टि की अनंत कला,
जहाँ दिखता वही है जो लिखा गया,
और लिखा वही है जो देखने वाला कभी था ही नहीं।
अदृश्य हाथ में प्रवाहित अनंत रेखा।
जहाँ शब्द नहीं पहुँचते, वहाँ भी कथा चलती है,
जहाँ स्वर नहीं बजते, वहाँ भी संगीत गूँजता है।
हर दुख, हर सुख, हर क्षण का रंग,
लेखक की स्मृति में उभरता,
प्रकट करता अनजाने खेल।
माया बहती, रूपों में खिलती,
सत्य स्थिर, चेतना में निखरती।
जग, जीवन, मन और विचार,
सिर्फ लेखक की कल्पना के रंग हैं।
हाथ नहीं हिलता,
फिर भी सारा संसार लिखा जाता है।
शून्य में उठते शब्द,
रहस्य में बहते भाव,
हर पृष्ठ में सत्य का संगीत,
हर रेखा में चेतना का प्रकाश।
जब कलम थमती है,
तो लेखक मुस्कुराता है,
क्योंकि जो लिखा गया, वह कभी अलग नहीं था।
माया और सत्य का मेल,
सृष्टि की अनंत कला,
जहाँ दिखता वही है जो लिखा गया,
और लिखा वही है जो देखने वाला कभी था ही नहीं।
सत्य लेखा है, माया लिखती है;
और हर क्षण, हर रूप, हर ध्वनि, उनका नश्वर-निरंतर संवाद है।


