रात बड़ी अजीब होती है...
सन्नाटा जितना बाहर होता है,
उससे कहीं ज़्यादा दिल के अंदर उतर आता है।
कभी-कभी लगता है,
हम मोहब्बत में जिसको पुकारते हैं,
असल में वो हमारे पास नहीं होता,
बल्कि हमारी रूह के अंदर बैठा होता है।
इसीलिए जब दर्द बढ़ता है,
तो दवा नहीं, दुआ काम करती है...
और जब तन्हाई हद से बढ़ती है,
तो एक ख़्वाब भी साथी बन जाता है।
मोहब्बत कोई कहानी नहीं,
ये तो रूह की तहों में छुपा हुआ
इबादत का नाम है...
जिसे समझ ले वही आशिक़,
और जो खो दे वही फ़ना।

सन्नाटा जितना बाहर होता है,
उससे कहीं ज़्यादा दिल के अंदर उतर आता है।
कभी-कभी लगता है,
हम मोहब्बत में जिसको पुकारते हैं,
असल में वो हमारे पास नहीं होता,
बल्कि हमारी रूह के अंदर बैठा होता है।
इसीलिए जब दर्द बढ़ता है,
तो दवा नहीं, दुआ काम करती है...
और जब तन्हाई हद से बढ़ती है,
तो एक ख़्वाब भी साथी बन जाता है।
मोहब्बत कोई कहानी नहीं,
ये तो रूह की तहों में छुपा हुआ
इबादत का नाम है...
जिसे समझ ले वही आशिक़,
और जो खो दे वही फ़ना।
