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  1. Siddhantrt

    कैसे????

    एक उम्र बितानी है मुझे तुम्हारे बगैर, और एक रात है कि मुझसे कटती नही। कैसे गुजारेंगे हम जिंदगी तुम्हारे बिना?
  2. Siddhantrt

    कभी कभी......

    कभी कभी मन अशांत सा रहता है, उलझा हुआ, तब कोई बात अगर ग़ौर से भी सुनूँ तो भी समझ नही आती, समझ नही आता की ख़ुद की चोट पे हँसू या रोऊ, जी चाहता है तोड़ दूँ सड़क किनारे लगे हुए पोल के बल्ब, और उठा के ढेला मार दूँ गली के कुत्तों को, फटकार के भगा दूँ पड़ोस के बच्चों को जो गली में चीख़ते चिल्लाते खेल...
  3. Siddhantrt

    मेरी रूह....

    मेरी रूह जो भटक रही है मन में तुम्हारा प्रेम समेटे, सुबह की पवित्रता दोपहर की ख़ामोश आँखें संध्या की धूपबत्ती से भरी ख़ुशबू और रात की गहराइयाँ भी मेरी रूह से तुम्हारे इश्क को जुदा नहीं कर सकती...!!! रूह भटक रही है चारों पहर मन में तुम्हारा प्रेम समेटे...!!!
  4. Siddhantrt

    निशब्द:

    दिल लगाने से पहले दिमाग जरूर लगाना, आजकल प्यार किस्तों में फेंका जा रहा है।
  5. Siddhantrt

    नवंबर....

    इन दिनो ताल्लुक थोडा मजबूत रखना, सुना है नवंबर के बिछड़े फिर नहीं मिलते।
  6. Siddhantrt

    तुमसे प्यार है जानां....

    सुनों, मुझे तुम हमेशा उतनी ही पसंद रहोगी जितनी के आज हो। हमेशा, जब तुम्हारे बाल पकने शुरू होंगे और झुर्रियां गालों को घेर लेंगी तब भी, हाँ तब भी जब तुम्हारे दांत टूटने लगेंगे और बिना चश्मे के तुम कुछ भी (सिवाय मेरे) पहचान नही पाओगी!, जब तुम सोचोगी के अब तुम और मोटी हो गयी हो तब भी... जब तुम...
  7. Siddhantrt

    आज फिर तेरी तलाश...❤️

    आज फिर तेरी तलाश में निकल पड़ा, ढूंढता हर ओर वो मखमली रूप तेरा, Block तो अच्छे से याद था, पर भूल गया मैं Group तेरा, कभी Metal मिले तो कभी Non-Metal, सबके Characteristics अपने-अपने निजी थे, कई सारी दुनिया से Inert हुए बैठे थे, कई हर पल Reactions में busy थे, Mendeleev के बनाए इस Facebook में...
  8. Siddhantrt

    चुपके से...

    कभी तुम चुपके से चुरा लेना मेरी रात का एक टुकडा और सो जाना मेरे रात के हिस्से में तुम्हे पता चलेगा की चाँद के लाख चमकने के बावजूद भी मेरी रातें कितनी अँधेरी हैं चैनो सुकून के सारे साजो सामान के बावजूद भी कितनी बेचैनी है मेरे रातों में तुम्हे पता चलेगा की क्यों मेरी चुप्पी जलती है मेरी डायरी में...
  9. Siddhantrt

    कभी....

    कभी चाय पीने के बहाने ही चले आइए, हमने चीनी के डिब्बे में छुपा रखी है, आपके हिस्से की इलाइची।
  10. Siddhantrt

    मेरे कमीज़ की वो बटन...

    मेरे कमीज़ की वो बटन, जो उस रोज तुमने खोली थी, मेरी छाती पर अपना इश्क़ जताने को.. वो तुम्हें दुबारा महसूस करने की ज़िद्द कर रही है.. यकीन मानो, मैं उसकी ज़िद्द के आगे बेबस हो चला हूँ.. तुम जानती हो न, जब निर्जीव चीज़ें इंसानों सी हो जाती हैं, तो क्या सितम करती हैं.. याद तो होगी न तुम्हें, तुम्हारे...
  11. Siddhantrt

    हिंदी दिवस...

  12. Siddhantrt

    वो एक शख़्स....

    दुःख कितना भी हो, कोई प्यार से पूछ ले, “ठीक हो न!” कम हो ही जाता है एक पल के लिए। दर्द से दिल भरा हो, कोई हाथ थाम कर कह दे, “मैं हूँ यहीं तुम्हारे लिए!” साँस लौटने लगती है। ज़ख़्म कितने ही गहरे क्यों न हो, कोई माथा चूम बाहों में भर ले, मरहम आत्मा को लग ही जाती है। सब को सब कुछ मिल ही जाता है...
  13. Siddhantrt

    अलविदा दोस्तों।

    अच्छा चलते हैं दुआओं में याद रखना।
  14. Siddhantrt

    सौ चाँद की रातें

    बंद कमरे में किए गए वादे निभाए नहीं जाते वादे वो निभाए जाते हैं जो समाज के सामने अग्नि को साक्षी मान कर किए जाते हैं, बंद कमरे में किए गए वादों का रंग किसी की माँग में भरे सिंदूर के रंग के आगे फीका ही रहेगा. वो चाहे कितना ही क्यों न चाह ले प्रेमिकाओं को साथ निभाने की बारी आएगी जब समाज की...
  15. Siddhantrt

    प्रेम.....

    प्रेम... प्रेम ! ये शब्द खुद में कितना अधूरा लगता है ना, मगर असल में इंसान इसके बिना अधूरा है, किसी ना किसी बहाने इस से हर कोई जुड़ा हुआ है, कहीं ना कहीं कोई तो होगा जिसकी मुस्कुराहट के लिये घन्टों उसे निहारते होंगे आप, कोई तो होगा जिसकी खुशी के लिये कितनो को मायूस कर देते होंगे आप, कोई तो होगा...
  16. Siddhantrt

    मैं रहूंगा तब भी.

    नहीं रहूँगा मैं तब भी रहूँगा तुम्हारी पलकों तले लरज़ते नमी के क़तरे में, उलझा उलझा.!
  17. Siddhantrt

    एक बक्सा है, जंग लगा हुआ...

    एक बक्सा है, जंग लगा हुआ, और इतना बदसूरत है कि शर्मिंदा हो घर का वो कोना मकड़ी के जालों के पर्दे में कोशिश करता है खुद को छिपाने की, बहती हवा के उकसाने पर खिड़कियाँ बौखला दीवारों से लड़ पूछ बैठती हैं उस बक्से का राज़ पर दीवारें चुपचाप ताकती रहती हैं एक दूसरे को, सिर्फ़ छत वाकिफ़ है कि उस घर में रहने...
  18. Siddhantrt

    मुझे तुमसे प्यार नहीं करना।

    कि जब हम लेटे हो बिस्तर पर और घूर रहे हों ऊपर झूल रहे पंखे को। तुमने लगा रखा हो मेरी बाहों का तकिया। पंखे की स्पीड की तरह की सारी पुरानी यादें महज कुछ सेकंड में ही गुजर जाएं हमारे जेहन से। हम सोच रहे हों अपने-अपने इश्क़ के बारे में और फिर एक करवट लेकर एक दूसरे की आंखों में आंखे डालते ही लब...
  19. Siddhantrt

    मैं हूँ फ़ोटो, और तुम हो फोटोशॉप...

    मैं हूँ फ़ोटो, और तुम हो फोटोशॉप, खुद को तुम्हारी वजह से अच्छा लगता था.. मगर जब ज़माने की निगाहों से देखा, तो पाया कितनी दिखावटी और नकली हो तुम.. ज़्यादा तकलीफ़ तो तब हुई.. जब मेरे अंदर मौजूद ज़माने के एक हिस्से ने कहा, इसकी तो लगा रखी है फोटोशॉप ने, उसी वक़्त हुआ ये अंतरिम फैसला, कि आज तुम्हें...
  20. Siddhantrt

    कहा था उसने.

    उसने मुझे कहा था उस रोज़ कि मैं फिर कहीँ मिल जाऊँगी... लोग भी कह रहे थे कि दुनियाँ गोल है कहीँ किसी मोड़ पे टकरा ही जाओगे... तब से अब तक मैँ सिर्फ़ पत्थरों से टकराया हूँ.... और शायद अब तमन्ना ही नहीं रही कि अब वो मुझे मिलेगी कहीँ... मानों जैसे दिन गुज़र जाता है और उसकी याद ही नहीं आती और तो और सच ये...
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